हाकिमों की बेहयाई पर हांफ रही हया, क्या तहसीलदार की गर्दन नापने से धुल जाएंगे दामन के दाग? Muzzaffarnagar News
जिला प्रशासन के दामन पर लगे दाग क्या महज तहसीलदार पर गाज गिराने से धुल जाएंगे या सबसे कमजोर कड़ी की गर्दन नापकर जवाबदेही से बचने का नुस्खा खोजा गया है?
मुजफ्फरनगर, [मनीष शर्मा]। युद्ध में जीत का सेहरा जब सेनापति के सिर बंधता है तो चूक दर चूक की जिम्मेदारी से सेनापति कैसे बच सकता है? यह अहम सवाल है कि कोरोना के खिलाफ जंग के मोर्चे पर जिले में मुफलिसों के खाद्यान्न पर डाके से सीधेतौर पर जुड़ा है। जिला प्रशासन के दामन पर लगे दाग क्या महज तहसीलदार पर गाज गिराने से धुल जाएंगे या सबसे कमजोर कड़ी की गर्दन नापकर जवाबदेही से बचने का नुस्खा खोजा गया है? इन सवालों के जवाब जिले के बाशिंदे और बुद्धिजीवी तबका खोज रहा है, लेकिन चौतरफा चुप्पी से शंका-आशंकाए गहरा रही हैं।
बुढ़ाना विधानसभा के चर्चित गांव मोहम्मदपुर राय सिंह में किसान मसीहाओं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के चित्र लगा यूनिपोल हटाने और फिर भारी विरोध के बाद दोबारा लगाकर जिले के जिम्मेदार अफसर सरकार की किरकिरी करा चुके हैं। यूनिपोल विवाद थमा ही था कि शाहपुर में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा को स्थानांतरण को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया। हुक्मरानों के नौसिखिया अंदाज से उपजे दोनों ही विवादों को खत्म करने के लिए खुद केंद्रीय राज्यमंत्री डा.संजीव बालियान को आगे आकर हस्तक्षेप करना पड़ा। जिले के हाकिम एक के बाद एक नए विवादों को जन्म देकर विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा दे रहे हैं। अब मुसीबत की घड़ी में हाकिमों की इस बेहयाई से हांफ रही हया की हिमायत के बहाने विपक्ष अधोमानक मोदी किट के गोलमाल को भी मुद्दा बनाने पर आमादा है। सोमवार को राष्ट्रीय लोकदल ने राज्यपाल को पत्र भेजकर पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच कराने की मांग करते हुए छोटे स्तर के अधिकारी पर कार्रवाई को खानापूरी करार दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने सीधे योगी सरकार पर निशाना साधते हुए घोटाले को शर्मनाक बताया है। जिंदा होते विपक्ष और मोदी-योगी सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की कसौटी पर असली परीक्षा जनप्रतिनिधियों की होगी।
....अभी ही क्यों पकड़ा गया घोटाला?
लॉकडाउन की तीनों चरणों को मिलाकर देखें तो अभी तक डेढ़ महीने से ऊपर हो चुका है। लॉक डाउन-1 के तत्काल बाद सरकारों ने खजाने का मुंह खोलते हुए हर जरूरतमंद तक राशन पहुंचाने का बीड़ा उठाया। प्रशासन ने भाजपा जिलाध्यक्ष व अन्य जनप्रतिनिधियों के मार्फत किट बंटवानी शुरू की। क्वारंटाइन केंद्रों पर खाने की आपूर्ति भी चंद रोज बाद ही शुरू हो गई। लेकिन, खाद्यान्न घोटाला पकड़ा गया महज चार दिन पहले..क्यों? शासन से नामित नोडल अफसर आरएन यादव की आमद भी चार दिन पहले ही जिले में हुई है। यानी कि पर्दे के पीछे खेल तो पहले से चल रहा था। ऐसे में बड़े अफसर जवाबदेही से कैसे मुकर सकते हैं?
केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान का कहना है कि कोरोना जैसे महासंक्रमणकाल में भ्रष्टाचार करने वाले से बड़ा अपराधी कोई हो ही नहीं सकता। पूरे प्रकरण में छोटे से लेकर बड़े से बड़े अफसर तक की जांच कराई जाएगी। शासन से इस संदर्भ में बात की गई है। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह छोटा अधिकारी हो या बड़ा। प्रक्रिया से जुड़ा कोई भी अफसर यह कहकर नहीं बच सकता कि दूसरा अधिकारी अधिकृत था।