Coronavirus सपने अपने : ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो
एक अदद वायरस की वजह से पूरी दुनिया में यह कहा जा रहा है कि फासले से मिला करो। अब अभिवादन में भारतीय संस्कृति वाला नमस्ते है जिसे मॉडर्न सोच वालों ने पिछड़ा मान लिया था।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। ‘कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो।’ मशहूर शायर बशीर बद्र का इस शहर से नाता रहा है तो हमें उनकी बातें मान ही लेनी चाहिए। वैसे तो उन्हें क्या पता रहा होगा कि कभी एक अदद वायरस की वजह से पूरी दुनिया में यह कहा जाएगा कि फासले से मिला करो। हाथ ही नहीं, गाल मिलाने तक की परंपरा पश्चिमी देशों में है। उनकी संस्कृति में घुल-मिल जाने के लिए अपने देश में भी इसे मॉडर्न सोच वाले अपनाने लगे। खैर कोरोना वायरस ने सभी तरह के मिलने- मिलाने से लेकर हाथ मिलाने तक पर बैन लगवा दिया है। बात भी दूर से। अभिवादन में भारतीय संस्कृति वाला नमस्ते है, जिसे मॉडर्न सोच वालों ने पिछड़ा मान लिया था। खैर, प्रार्थना कीजिए अपने शहर का मिजाज कोरोना न बिगाड़ पाए।
अचानक हो गए कामकाजी
वैसे तो हमारे यहां के विभाग कितना समर्पित होकर काम करते हैं यह तो सभी को पता है पर जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद वर्क फ्रॉम होम के लिए कह चुके हैं तो कोई विभाग अभी तक इसके लिए तैयार नहीं हो पाया। जब कोरोना हमारे पड़ोसी शहरों-जिलों में आ चुका है। हर स्तर पर अलर्ट है तो हमारे यहां के विभाग बड़े कामकाजी हो गए हैं। वजह क्या है, पता नहीं पर इनकी वजह से तमाम बंदी का असर कम हो रहा है। आरटीओ, एमडीए, नगर निगम समेत तमाम कार्यालयों में रोजाना जमकर भीड़ हो रही है। सुनवाई भी चल रही है। लोग भी जानते हैं कि अफसर एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं। उधर सरकार चाह रही है कि लोग घर पर रहें। कोरोना के कहर का असर कम करने को लोग एक-दूसरे के संपर्क में कम आएं।
शिकायत करोगे, निर्माण रुकेगा
एमडीए का फंडा, शिकायत करोगे तभी चलेगा डंडा। लोगों को यह समझ लेना चाहिए। अवैध निर्माण पर डंडा तभी चलेगा जब शिकायत दर शिकायत कर दी जाए। शिकायत एमडीए में नहीं बल्कि कमिश्नर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक। तब जाकर एमडीए की टीम पहुंचेगी। अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आप सिर्फ अपने तक ही शिकायत रखें और कोसते रहें कि एमडीए अवैध निर्माण पर सील नहीं लगवा रहा। सील के बाद भी काम करने वाले को मना नहीं कर रहा। एमडीए के पास और भी 100 काम हैं। प्रवर्तन कार्रवाई वाले जिम्मेदारों के पास तमाम और भी जिम्मेदारी है। कभी हाईकोर्ट में तलब हैं तो कभी एनजीटी में। इन कोटोर्ं का चक्कर काट कर तरीका एमडीए समझ गया है। उतना ही करता है जितने का हलफनामा लगाना होता है। बाकी तो जो है सो है ही। उसकी तो दुआ है कि शहर खूब फले-फूले।
जुमला नहीं बनेगा एमडीए
लंबे समय बाद अब एमडीए एक जुमले से उबर जाएगा। कमिश्नर के हवाले से इसका श्रेय मिलेगा वीसी राजेश पांडेय को। जुमला यह था कि एमडीए बातें बड़ी-बड़ी करता है। प्रस्ताव पर प्रस्ताव बनाता है लेकिन कराता कुछ नहीं। पर अब एमडीए के खाते में कई काम ऐसे हैं जो नायाब तरीके से जुड़ जाएंगे। सबसे बड़ी बात अवस्थापना निधि से शहर में 41 करोड़ का काम। इससे उल्लेखनीय काम होने जा रहे हैं। खास बात यह है कि इस मद से ढाई साल बाद बड़ा काम होने जा रहा है। यही नहीं, एक काम और भी ऐतिहासिक हुआ है जिसका जिR अब ठीक से होगा। यह काम हुआ कॉलोनियों का हैंडओवर। कर्ताधर्ता बदलते रहे पर बातों को हकीकत में यही बदलवा पाए। महायोजना के लिए एक मंच पर रायशुमारी पहली बार हुई है। उम्मीद है कि शहर के लिए एमडीए ऐसा आगे भी करता रहेगा।