Corona Warrior: पिता लड़ रहे कोरोना से जंग, इधर बच्चे इंतजार में बहा रहे हैं आंसू Meerut News
मेरठ में कोरोना की चेन बढ़ती जा रही है। ऐसे में कोरोना योद्धा अपना काम पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं। इस दौरान वे घर न जा पा रहे है और नही अपने स्वजनों से मिल ही पा रहे है!
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। बच्चे को पिता की ढांढस वाली आवाज सुनाई दी.. टप से आंसू गिरने की आवाज कर्मचारियों के शोर-शराबे में गुम हो गई। पापा कितने दिन बाद आओगे..हम ठीक से होम वर्क नहीं कर पा रहे। मम्मी भी तो आप जैसे ही बिजी रहती हैं..तेजस (03) बहुत रोता है..छह साल का ओजस खुद रोते हुए फोन पर बोल रहा था तो कोई पिता अपने आंसू कैसे रोक पाए? यह अमित सिंह हैं। बागपत में एडीएम हैं। व्यवस्था संभालनी है इसलिए दो माह से घर नहीं आए हैं। उनकी पत्नी मेरठ में ही पुलिस उपाधीक्षक हैं उनकी व्यस्तता भी अब पहले से ज्यादा बढ़ गई है। घर पर बच्चों की दादी हैं लेकिन मां-पिता के लाड़ और दुलार की भरपाई कहां होती है? जिस ओजस को खुद देखभाल की जरूरत है वह छोटे भाई को हंसाने का जतन करता रहता है।
सविता अपनी ढाई साल की बच्ची को घर पहुंचने पर बिलखते हुए देखकर भी कुछ घंटे दूर रखती हैं। वह मजबूर हैं क्योंकि खैरनगर जैसे भीड़ वाले क्षेत्र में स्टेट बैंक शाखा की प्रबंधक हैं। नहाने, कपड़े बदलने व सैनिटाइज करने के बाद ही बच्चे तक पहुंचती हैं। उनके पति भी बैंक में अफसर हैं। छह साल का बेटा मिलने को दौड़ता है पर वह समझाने को डांट मानकर रूठ जाता है।
इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर दंपती कुछ सुकून में माने जा सकते हैं। आथरेपेडिक विभाग के एचओडी डा. ज्ञानेश्वर वर्तमान में कोविड वार्ड की ओपीडी करते हैं। उनकी की पत्नी यहीं पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। उनके 10 साल का बेटा व 12 साल की बेटी है। दोनों माता-पिता की परेशानी अब समझ रहे हैं पर खुद पर बहुत सारा भार आ गया है। वे भी देश के साथ हैं और बहुत से काम खुद कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डा. योगिता सिंह कभी-कभार रात में भी आपातकालीन ड्यूटी पर रहती हैं तो उनके पति डा. धीरज राज के जिम्मे बहुत सारा काम रहता है। दोनों की व्यस्तता का खामियाजा भुगतना पड़ता है 13 व 15 साल की दोनों बेटियों को। डा. योगिता बताती हैं कि वह सुबह खाना खुद बनाकर ड्यूटी पर जाती हैं। दोनों बेटियां होनहार हैं, थोड़ा बहुत अब खुद भी करने लगी हैं।
मम्मी-पापा का खयाल उन्हें ज्यादा रहता है। उन्हें पता है कि उनके बच्चों को इस समय जब उनका साथ चाहिए तब वे व्यस्तता में हैं। जो माता-पिता कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योद्धा बनकर दिन-रात ड्यूटी पर हैं उनके बच्चे अब एक अलग जिंदगी जी रहे हैं। एक तो पहले से ही दोनों के ड्यूटी पर रहने से और बच्चों की तरह उन्हें देखभाल नहीं मिल पाती थी। जब से कोरोना आया है तब से उनकी जिंदगी का बचा खुचा सुख-चैन भी छिन गया है जिसकी भरपाई टीवी और ऑनलाइन माध्यमों से भी नहीं हो पा रही। जीआरपी में इंस्पेक्टर किरन राज की दो बेटियों (10 व 06) व एक बच्चा (02) के लिए भी इस समय दादी ही सब कुछ हैं। वह खुद व्यस्त रहती हैं और घर आने पर कुछ वक्त खुद को सैनिटाइज करने में चला जाता है। चाह कर भी बच्चे को हाथ नहीं लगा पातीं।
अब पहले की तरह ड्यूटी पर जाते हुए उसके गाल पर पप्पी भी नहीं करतीं। बहुत कुछ बदल गया है। उनके पति भी इंस्पेक्टर हैं और जीआरपी लखनऊ में तैनात हैं। दो माह से नहीं आ पाए हैं। समय निकालकर बच्चों से वीडियो कॉलिंग करके बच्चों को पुचकार लेते हैं।