अस्पतालों में भी भरे हैं कोरोना जैसे मरीज, रिपोर्ट निगेटिव आने से क्या, इन जांचों से पुख्ता होता है मर्ज
Coronavirus in Meerut भर्ती दर्जनों एंटीजन में निगेटिव किंतु बाद में पीसीआर में मिले पाजिटिव। शरीर में बढ़ता है आयरन डी डाइमर जांच से पता करते हैं साइटोकाइन स्टार्म।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कोरोना मरीज सिर्फ कोविड वार्डों में ही नहीं, निजी अस्पतालों में भी भरे पड़े हैं। भले ही ये मरीज एंटीजन जांच में निगेटिव मिल रहे हैं, लेकिन इनमें कोरोना के सभी लक्षण हैं। डाक्टरों ने जब इन मरीजों में डी डायमर और आयरन समेत अन्य फैक्टरों की जांच कराया तो कोरोना मरीजों की तरह बढ़ा हुआ मिल रहा है। एंटीजन में निगेटिव मिल चुके मरीजों की आरटी-पीसीआर जांच पाजिटिव भी मिली है। डाक्टर इनका इलाज कोविड प्रोटोकाल के साथ कर रहे हैं। कोरोना की तरह ज्यादातर मरीज आक्सीजन सपाेर्ट से ठीक भी हो गए।
कोरोना पकड़ने में 30-40 फीसद चूक
जिले में करीब डेढ़ लाख सैंपलों की जांच में तीन हजार से ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं। लेकिन निजी डाक्टरों का कहना है कि नई दिल्ली और गौतमबुद्ध की तरह मेरठ में 30 फीसद आबादी संक्रमित हो चुकी है। चिकित्सकों का कहना है कि एंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच सिर्फ 50-70 फीसद मरीजों को पकड़ सकता है। यानी 30-40 फीसद मरीजों में संक्रमण का पता नहीं चल पाता है। गले में दर्द, सूखी खांसी, गंध और स्वाद खत्म होने, पेट में गड़बड़ी, थकान और बुखार के लक्षण वाले दर्जनों मरीज अस्पतालों में इलाज ले रहे हैं। इनमें भी कई मरीजों की सांस फूलने के साथ आक्सीजन गिरने का लक्षण मिला।
इन जांचों से पुख्ता हो रहा कोरोना
मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड के प्रभारी डा. सुधीर राठी का कहना है कि संक्रमित मरीजों की ब्लड जांच करने पर पता चलता है कि कई फैक्टर बढ़ गए हैं। फेफड़ों में सूजन भी मिलती है। निजी अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों में कोरोना पकड़ने के लिए कई प्रकार की जांचें कराई जाती हैं।
-एलडीएच-लैक्टेट डिहाइड्रोजीनेस: शरीर की हर कोशिका में मिलने वाला एंजाइम है, जो शुगर को ऊर्जा में बदलता है। शरीर का टिस्सू डैमेज होने पर एलडीएच का आंकड़ा बढ़ जाता है।
-सीरम फेरिटिन- शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।
-डी-डाइमर: इससे शरीर की धमनियों में रक्त का थक्का पता किया जाता है। कोरोना में खून का गाढ़ापन बढ़ताहै।
-आइएल-6= साइटोकाइन स्टार्म के बाद फेफड़ों के डैमेज होने की जानकारी मिलती है। अन्य जांचों में सीबीसी, जीबीपी, इएसआर, शुगर, लिवर टेस्ट है।
इनका कहना है...
जिन मरीजों में एलडीएच, सीरम फेरिटिन, डी-डाइमर, आइएल-6 और न्यूट्रोफिल लिम्फाेसाइटस बढ़ा मिलता है, उसे तकरीबन कोरोना मरीज मानकर इलाज किया जा रहा है। कई मरीजों में आक्सीजन 94 फीसद से नीचे मिलने पर आक्सीजन सपोर्ट दिया जाता है। स्टाफ पूरी तरह पीपीई किट, ग्ल्बस, और कोविड मानकों पर इलाज करता है। रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बावजूद मरीज पाजिटिव हो सकता है। संक्रमण मार्च 2021 तक बना रह सकता है।
- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस एव छाती रोग विशेषज्ञ
कोरोना होने के बावजूद कोई भी जांच तकनीक 30 फीसद तक गलती कर सकती है। लक्षण तकरीबन पूरे मिल रहे हैं। कई बार मरीजों में लिम्फोसाइट 20 फीसद से नीचे पहुंच जाता है। कोरोना संक्रमण से होने वाली न्यूमोनिया अन्य से अलग है। बारिश के दौरान अब वायरल संक्रमण भी करीब कोरोना जैसे लक्षणों के साथ उभर रहा है। अगर कोई मरीज पीसीआ जांच में पाजिटिव मिला तो उसे तत्काल कोविड केंद्र भेज दिया जाता है।
- डा. वीएन त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ