टायफायड-डेंगू के साथ भी हो सकता है कोरोना
कोरोना संक्रमण व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। प्रशासन की पड़ताल में पता चला कि निजी अस्पतालों की ओर बड़ी चूक हो रही है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। प्रशासन की पड़ताल में पता चला कि निजी अस्पतालों की ओर बड़ी चूक हो रही है। अस्पतालों में पहुंचने वाले बुखार के मरीजों की टायफायड व डेंगू जाच हो रही है, लेकिन कोरोना जाच से बच रहे हैं। इन वजहों से जहा मरीजों की हालत बिगड़ रही है, वहीं सामुदायिक संक्रमण की भी आशका खड़ी हो गई है। जिलाधिकारी के. बालाजी ने बुखार के हर मरीज को कोरोना समझकर जाच करने के लिए कहा है।
28 मार्च से अब तक करीब 15 हजार कोविड मरीज मिल चुके हैं, जिसमें 370 की मौत हो गई। मेरठ में वर्तमान संक्रमण दर चार से छह फीसद के बीच है, जबकि केस फैटिलिटी रेट 2.4 है, जो सूबे में सर्वाधिक है। प्रदेश में सबसे ज्यादा सक्रिय मरीज मेरठ में हैं। मई से नवंबर तक प्रदेश की छह टीमें मेरठ आ चुकी हैं, जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सुरेश खन्ना, प्रमुख सचिव रमारमण, पी. गुरुप्रसाद, आलोक कुमार और केजीएमयू के डा. सूर्यकात त्रिपाठी व पीजीआइ के डा. संदीप समेत बड़ी संख्या में अधिकारियों ने मेरठ में ज्यादा संक्रमण एवं मौतों की वजह खंगाली। जून एवं सितंबर में पीक रहा, जबकि अक्टूबर से नवंबर पहले सप्ताह तक कोरोना दम तोड़ता नजर आया, लेकिन संक्रमण अचानक बढ़ गया।
आधे अस्पतालों ने दबाई रिपोर्ट
जिला प्रशासन ने 240 निजी अस्पतालों की पड़ताल कराई तो पता चला कि महज 126 अस्पताल प्रशासन को सास एवं बुखार के मरीजों की जानकारी दे रहे हैं। अन्य अस्पतालों एवं क्लीनिकों की रिपोर्ट बताती है कि बुखार के मरीज कोरोना जाच से बचते हैं। साथ ही निजी डाक्टर भी उन पर दबाव नहीं डाल रहे हैं। ऐसे में पता चला कि कोरोना का इलाज न मिलने पर मरीज को घातक निमोनिया हो रहा है। मेडिकल कालेज में ज्यादातर मौतों के पीछे देर से रेफर करने की वजह आई। रिपोर्ट खंगालने पर पता चला कि बुखार के मरीजों में डेंगू और टायफायड पहले जाचा। दोनों में कोई बीमारी मिली तो उसमें डेंगू जाच किया ही नहीं गया। जब तबीयत बिगड़ने लगी तब कोविड जाच की गई और इस दौरान तक आक्सीजन 80 फीसद से कम हो गई थी।
इनका कहना है
जिला स्वास्थ्य विभाग एवं निजी डाक्टरों के सामने साफ किया गया कि हर बुखार कोरोना है, ऐसा मानकर जाच करें। मरीज भी हिचकता है और निजी अस्पताल भी कोरोना जाच की उलझनों से दूर रहना चाहते हैं, इसीलिए केस बिगड़कर मेडिकल कालेज पहुंच रहे हैं। इसे रोकें, मौतों पर अंकुश लग जाएगा।
डा. सूर्यकात त्रिपाठी, नोडल अधिकारी व प्रोफेसर, केजीएमयू