Corona In Meerut: मेडिकल कॉलेज में डरावनी है कोरोना की कहानी, जानलेवा बना आक्सीजन से वेंटीलेटर तक का सफर
कोरोना संक्रमण का अब तक का सफर बेहद खौफनाक रहा है। मेडिकल कॉलेज में 20 फीसद मरीजों को वेंटीलेटर पर रखना पड़ा है जबकि राष्ट्रीय औसत पांच फीसद मरीजों का है।
मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमण का अब तक का सफर बेहद खौफनाक रहा है। सरकार और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद सप्ताहभर के दौरान मौत के आंकड़े में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन अब तक 130 मरीज कोरोना के आगे दम तोड़ चुके हैं। पूरे प्रदेश में मौत का यह आंकड़ा सबसे अधिक है। मेडिकल कॉलेज में 20 फीसद मरीजों को वेंटीलेटर पर रखना पड़ा है, जबकि राष्ट्रीय औसत पांच फीसद मरीजों का है। वेंटीलेटर पर रखे गए सौ से ज्यादा मरीजों में सिर्फ एक मरीज की जान बच पाई है। जबकि प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों में वेंटीलेटर से कई मरीज रिकवर हो गए। उधर, मरीजों के डिस्चार्ज की दर में भी मेरठ पिछड़ा हुआ है।
वीडियो वायरल हुए तो हरकत में आई सरकार
दो माह पहले मेडिकल कालेज में मरीजों की संख्या बढऩे और कई मौतों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया। इलाज में लापरवाही को लेकर वीडियो वायरल हुए तो प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना के अलावा प्रमुख सचिव, नोडल अधिकारी, केजीएमयू और पीजीआइ के डाक्टरों को मेरठ में हो रही मौतों को नियंत्रित करने के लिए भेजा गया। नोडल अधिकारी पी गुरुप्रसाद और केजीएमयू के प्रोफेसर डा. शरत चंद्रा सप्ताहभर मेरठ में रुके। दो दिन पहले गुरुप्रसाद फिर मेरठ पहुंच चुके हैं।
सीएम करेंगे रिपोर्ट तलब
पांच जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ अधिकारियों से कोविड मरीजों पर रिपोर्ट तलब करेंगे। अधिकारियां की सांसें अटकी हुई हैं। कारण, आंकड़ों में मरीजों की मौतों की दर 15 दिनों में 19 से करीब 23 फीसद तक पहुंच गई है। कोविड वार्ड के प्रभारी डा. सुधीर राठी ने बताया कि गाजियाबाद से बड़ी संख्या में गंभीर मरीज मेडिकल कालेज भर्ती किए गए, जिसकी वजह से मौतों का आंकड़ा बढ़ा था। पिछले सप्ताह के दौरान मौतों में कमी जरूर आई है, किंतु सिलसिला रुका नहीं है। वेंटीलेटर संचालन को लेकर मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई। सीनियर डाक्टरों को अंदर जाने के लिए कहा गया है। इलाज के प्रोटोकाल में भी वक्त के साथ कई बदलाव किए गए हैं।
ये है कोविड वार्ड की अब तक की तस्वीर
- 574 मरीज अब तक भर्ती। इनमें 34 फीसद यानी 200 मरीजों को आक्सीजन पर रखना पड़ा।
- 152 को आइसीयू में रखा गया। 118 मरीजों को यानी 20.55 फीसद को वेंटीलेटर पर रखना पड़ा।
- 130 मरीजों की जान चली गई यानी 22.64 फीसद मरीजों की मौत हुई।
इनका कहना है
गाजियाबाद, हापुड़ और नोएडा के गंभीर मरीजों को अंतिम समय पर मेडिकल कालेज भेजा गया, जिससे मरीजों की मौतों की दर ज्यादा हुई। स्थानीय मरीज भी देर से इलाज के लिए पहुंचे। 34 फीसद मरीजों को आक्सीजन पर रखना पड़ा, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। वेंटीलेटर से रिकवरी न हो पाना दुखद है।
- डा. सुधीर राठी, प्रभारी, कोविड-19 वार्ड