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Coronavirus: संवाद स्थापित करिए जनाब, इसी से हारेगा कोरोना Meerut News

कोरोना से निबटने के लिए जनता और जनप्रतिनिधि के बीच अफसर-अफसर के बीच शासन-प्रशासन के बीच बड़े और छोटे अफसर के बीच जनता और अधिकारी के बीच संवाद बेहद जरूरी है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 04:08 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 04:08 PM (IST)
Coronavirus: संवाद स्थापित करिए जनाब, इसी से हारेगा कोरोना Meerut News
Coronavirus: संवाद स्थापित करिए जनाब, इसी से हारेगा कोरोना Meerut News

मेरठ, [दिलीप पटेल]। संवाद खत्म तो सब कुछ खत्म। संवाद होता रहे तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इसलिए जनता और जनप्रतिनिधि के बीच, अफसर-अफसर के बीच, शासन-प्रशासन के बीच, बड़े और छोटे अफसर के बीच, जनता और अधिकारी के बीच संवाद बेहद जरूरी है। अच्छी बात ये है कि कोरोना महामारी ने परिवारों में, रिश्ते-नातेदारों और मित्रों के बीच आपसी संवाद को बढ़ाया है। इससे लोग घरों में रह कर चुनौतियों का सामना आसानी से कर पा रहे हैं, लेकिन बड़े अफसरों में इस संवाद की कमी पूरा शहर महसूस कर रहा है। जनप्रतिनिधि भी कहने लगे हैं। चाहे जिला प्रशासन और पुलिस महकमा हो या फिर नगर निगम, संवादहीनता सब जगह व्याप्त है। नतीजा देखिए, सब्जी मंडी नहीं संभल रही। कोरोना संक्रमण बेलगाम है। इतना समझ लीजिए कोरोना से जीतना है तो एक नाव पर बैठना ही पड़ेगा।

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स्‍वच्‍छता से जीवन रक्षा का संदेश

शहर में निकलिए तो प्रमुख चौराहों पर, मुख्य सड़कों पर आकर्षक रंगोली के बीच स्लोगन लिखे नजर आते हैं। यह स्लोगन कोई और नहीं बना रहा है, बल्कि वही सफाई कर्मचारी इसे गढ़ रहे हैं जिनके जिम्मे सुबह-सुबह झाड़ लगाने, नाली साफ करने और कचरा उठाने का काम है। यह काम तो वह कर ही रहे हैं, साथ ही 20 लाख आबादी को जीवन रक्षा का संदेश भी दे रहे हैं। कहीं वे लिखते हैं कि ‘घर पर रहें, स्वस्थ रहें’ तो कहीं पर लिखते हैं कि ‘स्वच्छ रहेंगे तभी स्वस्थ रहेंगे।’ हौसला भी बढ़ाते हैं कि हम जीतेंगे और कोरोना हारेगा। महामारी में यह बदली हुई सोच का परिणाम है। स्वच्छता से उनका नाता तो नौकरी के तौर पर है, लेकिन इन संदेशों से शहर के हर व्यक्ति को वह स्वच्छता के प्रति सजग करना चाहते हैं ताकि भविष्य भी स्वच्छ और स्वस्थ रहे।

अब स्‍वच्‍छता की कड़ी प्रतिस्‍पर्धा

कोरोना महामारी ने वर्ष 2021 के लिए होने वाली स्वच्छता सर्वेक्षण की प्रतिस्पर्धा को और कड़ा बना दिया है। अब महानगरों के बीच मुकाबला बीते वर्षो की अपेक्षा ज्यादा दिलचस्प होगा। दरअसल, पहले स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी दिसंबर तक शुरू होती थी, लेकिन इस साल तो शुरुआत से ही सफाई और सैनिटाइजेशन की प्रतिस्पर्धा शुरू हो चुकी है। भले ही कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए नगर निगम युद्धस्तर पर इन कामों में जुटे हैं, लेकिन इसका आंकलन अगले साल जनवरी से मार्च के बीच होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में होना तय है। मेरठ समेत देश के सभी शहर कोरोना को हराने के लिए स्वच्छता पर फोकस कर रहे हैं। कई मानक भी पूरे कर लेंगे। ऐसे में स्वच्छता के सिरमौर रहे इंदौर को कड़ी टक्कर मिलनी तय है। हालांकि अभी वर्ष 2020 के स्वच्छता सर्वेक्षण का परिणाम आना शेष है, पर अब यह मायने नहीं रखेगा।

कमाल का मेंटीनेंस है साहब

सप्ताहभर में दो दिन आंधी आई, बारिश भी हुई। आंधी आते ही पूरा शहर ब्लैक आउट हो गया। तनिक देर के लिए लगा कि जैसे बिजली सिस्टम धड़ाम हो गया। पता चला कि बिजली महकमे ने सुरक्षा की दृष्टि से बिजली आपूíत रोक दी है। सवाल तो यही है कि आंधी तो मई-जून में हर साल आती है। बिजली महकमा इसके लिए तैयारी भी मार्च-अप्रैल में करता है। मेंटीनेंस के नाम पर खूब बिजली कटौती होती है, लेकिन इसका नतीजा सिफर है। ये कैसा मेंटीनेंस है साहब। जिसकी पोल आंधी आते ही खुल जाती है। आंधी के एक झटके भी बिजली पोल नहीं झेल पाते हैं। क्या जमीन के ऊपर ही रखे होते हैं? बिजली अधिकारी हो, यह कह कर बच जाओगे कि सुधार चल रहा है आ जाएगी, लेकिन मेंटीनेंस के नाम पर उपभोक्ता अंधेरे में अपने को ठगा महसूस करता है।


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