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मुबारक हो! बनने लगा एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड

मेरठ। कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में प्राकृतिक घास के स्थान पर कृत्रिम घास से बनने वाले एस्ट्र

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jun 2018 12:00 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 12:00 PM (IST)
मुबारक हो! बनने लगा एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड
मुबारक हो! बनने लगा एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड

मेरठ। कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में प्राकृतिक घास के स्थान पर कृत्रिम घास से बनने वाले एस्ट्रो टर्फ (घास) हॉकी मैदान का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस हॉकी ग्राउंड पर अगले सत्र में हॉकी प्रतियोगिता कराने की उम्मीद जताई जा रही है। मेरठ में कभी बुलंदियां पर रही हॉकी इस ग्राउंड से एक बार फिर लौटने की उम्मीद है। करीब दो साल पहले इसका प्रस्ताव खेलो इंडिया के अंतर्गत गया था जिसे मंजूरी मिलने के बाद पिछले अक्टूबर महीने में तकनीकी कार्रवाई पूरी हुई और अब स्टेडियम ग्राउंड पर एस्ट्रो टर्फ का नक्शा तैयार कर जमीन खोदने का काम शुरू हो गया है।

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ऐसा बनेगा हॉकी ग्राउंड

कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लिमिटेड की ओर से निर्माण में जुटी बरेली की संस्था इंसोलस इंफोटेक स्पो‌र्ट्स प्रा. लि. के प्रोजेक्ट मैनेजर राशिद अली के अनुसार एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड 109.40 मीटर लंबा और 69 मीटर चौड़ा बनेगा। ग्राउंड के चारों ओर एक मीटर चौड़ा ड्रेनेज सिस्टम होगा और उसके बाहर तीन मीटर का इंटरलॉकिंग रास्ता बनेगा। ग्राउंड पर पानी के छिड़काव के लिए स्प्रिंगलर सिस्टम के फुहारे लगेंगे। इसके अलावा वुशु एरिना के निकट बालक-बालिकाओं के लिए दो चेंजिंग रूम बनाए जाएंगे।

नहीं रुकेगा खेल

इसके निर्माण में गड्ढा खोदने के बाद मिट्टी, रेत और मिट्टी की परतें बिछाई जाएंगी। उसके बाद रोड की तरह डामर और गिट्टी की चादर बिछेगी। अंत में उस पर एस्ट्रो टर्फ की परत बिछाई जाएगी। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आल हैदर के अनुसार एस्ट्रो टर्फ को न बारिश से नुकसान है और न ही बारिश में खेल प्रभावित होगा। हर मौसम में हॉकी खेली जा सकेगी। इससे खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और प्रतियोगिताएं भी पूरे वर्ष आयोजित हो सकेंगी।

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1970 में हुई एस्ट्रो टर्फ की शुरुआत

सबसे पहले 1970 में कृत्रिम यानी आर्टिफिसियल घास से बने मैदान में हॉकी खेलने की शुरुआत हुई। हर मौसम के अनुकूल इसके फायदों को देखते हुए इसकी लोकप्रियता बढ़ी और प्राकृतिक घास के मैदान एस्ट्रो टर्फ में तब्दील होने लगे। इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन (आइएचएफ) की ओर से साल 1976 मोंस्ट्रियल ओलंपिक के साथ ही इसे व‌र्ल्ड कप, जूनियर व‌र्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी, चैंपियंस चैलेंजेज आदि सभी प्रमुख हॉकी प्रतियोगिताओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया।

आइएचएफ के अनुसार ऐसा हो ग्राउंड

आइएचएफ की ओर से जारी 'द रूल्स ऑफ हॉकी' के अनुसार करीब 1.24 एकड़ में स्टैंडर्ड पिच मेजरमेंट तैयार किया जाता है। इसमें खेल का फील्ड एरिया 91.4 मीटर गुणे 55 मीटर (100 यार्ड गुणे 60 यार्ड) होता है। इसे तकरीबन 5,027 स्क्वायर मीटर जमीन पर तैयार किया जाता है। फील्ड के दोनों गोल पोस्ट की ओर से 22.90 मीटर पर '23 मीटर लाइन' और बीच में सेंट्रल लाइन खीची जाती है। इसके अलावा मैदान के चारों ओर अलग से स्थान छोड़ा जाता है।

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प्रभावित होगी ट्रेनिंग

स्टेडियम में जिस स्थान पर एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड बनाया जा रहा है वहां क्रिकेट के नेट हैं। हालांकि दोनों नेट ग्राउंड के बाहर हैं लेकिन ट्रेनिंग एरिया पर खुदाई हो चुकी है। नौ जुलाई को क्रिकेट हॉस्टल के बच्चे भी जाएंगे। उनके लिए ट्रेनिंग ग्राउंड नहीं रहेगा। इसी तरह वहां फुटबाल खिलाड़ी खेलते थे और कबड्डी के खिलाड़ी फिटनेस ट्रेनिंग किया करते थे। इनकी ट्रेनिंग प्रभावित हो सकती है। सामने की ओर बने हॉकी ग्राउंड पर हॉकी खिलाड़ियों के अलावा, एथलेटिक्स, डिस्टकस थ्रो, भाला फेक आदि के खिलाड़ी अभ्यास करते हैं।


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