मेनका सिनेमा मामले में गुपचुप बयान दर्ज कराने की साजिश
बयान देने से बच रहा आरोपित चौबे। मेनका सिनेमाहॉल ध्वस्तीकरण प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में है। दूसरे विभागों के अलावा पुलिस भी मामले को रफा-दफा करने में जुट गई है।
मेरठ। मेनका सिनेमाहॉल ध्वस्तीकरण प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में है। दूसरे विभागों के अलावा पुलिस भी मामले को रफा-दफा करने में जुट गई है। आरोपित बनाए गए हाइटेक सिटी डेवलपर्स कंपनी के पूर्व डायरेक्टर पुरुषोत्तम चौबे ने थाने में ई-मेल और चिट्ठी भेजकर सफाई दी है। चर्चा है कि पुलिस के कहे अनुसार ही चौबे ने अपने पक्ष में प्रमाण भेजे हैं।
घंटाघर स्थित मेनका सिनेमा हॉल को तोड़ने की जाच सभी विभागों ने ठंडे बस्ते में डाल दी है। डीएम के निर्देश पर मेरठ विकास प्राधिकरण भी हॉल को सील कर चुप बैठ गया। नगर निगम, प्रशासन और मनोरंजन कर विभाग की जांच शून्य से ऊपर नहीं बढ़ पाई। अब पुलिस भी मामले के निस्तारण में लग गई है। जिस अंदाज में मामला निस्तारण के प्रयास हो रहे हैं, वह बेहद ही संदेहास्पद हैं। मुकदमे के कई माह बाद भी पुलिस आरोपित चौबे के बयान दर्ज नहीं करा पाई है। फोन पर लगातार बात हो रही है। बकौल पुलिस आरोपित मेरठ आने से बच रहा है। सूत्र बताते हैं कि चौबे अब बयान के लिए मेरठ नहीं आएगा। उसने पुलिस को प्रमाण भेज दिए हैं। इसमें पुलिस की मिलीभगत हो सकती है। थाना प्रभारी विजय गुप्ता का दावा है कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित चौबे के मकान पर कई बार दबिश दी जा चुकी है, परंतु वहां ताला लगा है। चौबे को गिरफ्तारी का डर है, इसलिए हाल ही में उन्होंने पुलिस को ई-मेल किया और इसके बाद डाक से कुछ प्रमाण भेजे। उसमें कहा गया है कि वह कंपनी को 2013 में छोड़ चुके हैं। उनके नाम का गलत इस्तेमाल हुआ है।
संदिग्धों की भी जांच शुरू
जाच में कई संदिग्ध नाम भी सामने आ चुके हैं। होटल अल करीम के मालिक नासिर इलाही इसमें मुख्य है। थाना प्रभारी का दावा है कि इन लोगों से भी पूछताछ की जाएगी।
यह है मामला
मेनका सिनेमा काफी समय से बंद है। पिछले दिनों गुपचुप रूप से उसे पिछली ओर से ध्वस्त कर दिया गया। बगैर अनुमति ध्वस्तीकरण करने पर फिलहाल सिनेमा सील है। नगर निगम के रिकॉर्ड में मेनका के मालिकाना हक में परिवर्तन किया गया। पहले नादिर अली का नाम स्वामी के रूप में दर्ज रहा। वर्ष 2009 में मै. हाईटेक सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पुरुषोत्तम चौबे का नाम दर्ज किया गया।
सीओ कोतवाली दिनेश कुमार शुक्ला का कहना है कि चौबे ने ई-मेल व डाक से पत्र भेजे हैं, जिनकी जांच की जा रही है। यदि चौबे निर्दोष है तो वह थाने आकर बयान दर्ज कराएं, ताकि मामले का निस्तारण किया जा सके।