मेरठ में बिजली के निजीकरण के विरोध में कम्युनिस्ट पार्टी का प्रदर्शन Meerut News
बिजली के निजीकरण के विरोध में अब कम्युनिस्ट पार्टी भी उतर आई है। इसके साथ ही प्रदेश में ध्वस्त होती कानून व्यवस्था के विरोध में कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कलक्ट्रेट में प्रदर्शन करने के बाद नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी सौंपा।
मेरठ, जेएनएन। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी यानी मार्क्सवादी ने कृषि कानूनों को पारित कराने, बिजली के निजीकरण के विरोध में व ध्वस्त होती कानून व्यवस्था के विरोध में बुधवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन अपर नगर मजिस्ट्रेट चंद्रेश कुमार सिंह को सौंपा। पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का आरोप था कि मोदी सरकार ने इसी मानसून सत्र में खेती एवं कृषि व्यापार से संबंधित तीन काले कानून जनतंत्र और संघीय ढांचे को ताक पर रखकर पारित कराए हैं। ऐसा करके देश के कृषि क्षेत्र को पूरी तरह देशी-विदेशी कंपनियों के हवाले कर दिया गया है।
बेतहाशा बढ़ रहीं घटनाएं
वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। संगीन अपराधों, हत्या, लूट व फिरौती के लिए अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और पीड़िताओं की हत्या की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उनका यह भी कहना था कि दुष्कर्म पीड़ितों में ज्यादा संख्या दलित एवं कमजोर परिवारों की बेटियों की है। गत 14 सितंबर को हाथरस में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना में अमानवीयता, सरकार की लापरवाही एवं संवेदनशीलता की सारी सीमाएं पार हो गई हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों एवं कार्यशैली की घोर निंदा करती है। इसी को लेकर पार्टी द्वारा देशभर में जन अभियान चलाया जा रहा है।
यह है मांग
उन्होंने मांग की कि सरकार कृषि कानूनों को तुरंत रद्द करें, बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को रोका जाए तथा कानून व्यवस्था की खराब स्थिति पर प्रभाव कारी नियंत्रण किया जाए।
यह रहे शामिल
प्रदर्शन करने वालों में जिला सचिव रजनीश कुमार, सतपाल सिंह, राजीव कुमार, ब्रजवीर सिंह, अनिल कुमार, विजय कुमार व गोपाल आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।