Move to Jagran APP

सीएमओ ने बैठाई लोकप्रिय अस्पताल प्रबंधन की जांच

मेरठ लोकप्रिय अस्‍पताल में दुष्कर्म मामले में तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच, अस्पताल में हुआ था महिला के साथ दुष्कर्म।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 12:55 PM (IST)
सीएमओ ने बैठाई लोकप्रिय अस्पताल प्रबंधन की जांच
सीएमओ ने बैठाई लोकप्रिय अस्पताल प्रबंधन की जांच
मेरठ (जेएनएन)। लोकप्रिय अस्पताल में महिला के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में सीएमओ ने भी अस्पताल के प्रबंधन की जांच के लिए टीम का गठन कर । दिया है। टीम को तीन दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सीएमओ को सौंपनी है। सीएमओ का कहना है कि लापरवाही पाए जाने पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत
लोकप्रिय अस्पताल में हुए महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को समाजवादी छात्रसभा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राजदीप विकल दर्जनों छात्रो के साथ सीएमओ कार्यालय पहुंचे। उन्होंने सीएमओ कार्यालय में हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत के चलते ही महिला के साथ इस तरह की घटना हुई है। उन्होंने मैनेजर हेमंत शर्मा पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने ही आरोपित रिजवान को अस्पताल से भगाया था। सवाल खड़ा किया कि जब महिला कमरे में अकेली थी तो रिजवान को क्यों भेजा गया। छात्रसभा के कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके बाद सीएमओ डॉक्टर रामकुमार ने छात्रसभा के लोगों को समझाया कि उन्होंने दो डॉक्टरों की टीम जांच के लिए गठित कर दी है, जिसमें एसीएमओ डॉक्टर प्रवीण गौतम और डॉक्टर जीके मिश्रा शामिल हैं। लोकप्रिय अस्पताल के निदेशक डा. रोहित रविंद्र से भी जांच टीम पूछताछ करेगी।
इन पहलुओं पर होगी जांच
- महिला मरीज के लिए क्या महिला नर्स रखी हुई है या नहीं।
- घटना के समय पुरुष व्यक्ति को कमरे में क्यों भेजा गया।
- यदि पुरुष कमरे में गया था तो उसके साथ महिला नर्स क्यों नहीं थी।
- अस्पताल में कितनी महिला स्टाफ है और उनकी कितनी क्वालीफिकेशन है।
- महिला स्टाफ नर्स के पास संबंधित प्रमाण पत्र है या नहीं।
- सुरक्षा को लेकर अस्पताल प्रबंधन के पास क्या-क्या इंतजाम है।
- अस्पताल में भर्ती होने वाली महिलाओं की सुरक्षा के क्या इंतजाम है।
लापरवाही मिलने पर यह हो सकती है कार्रवाई
- लापरवाही मिलने पर शासन से अनुमति लेकर लाइसेंस रद हो सकता है।
- अस्पताल के मालिक या फिर उसके मैनेजर के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो सकता है।
महिला मरीजों की सुरक्षा पर मौन है गाइडलाइन
अस्पतालों में आए दिन छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं, किंतु प्रदेश सरकारों ने सुरक्षा की कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की है। सैद्धांतिक तौर पर महिला वार्ड में पुरुष बिना किसी महिला को साथ लिए प्रवेश नहीं करेगा, किंतु ऐसा कोई सर्कुलर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश संख्या 820-2000 राजेश श्रीवास्तव बनाम यूपी सरकार में स्पष्ट किया गया कि हर अस्पताल की चिकित्सीय पहलू पर मरीजों के प्रति जिम्मदारी होगी। इलाज के साथ ही आइसीयू के मानक तय किए गए हैं, किंतु इससे इतर विशेष रूप से महिला मरीजों की सुरक्षा के लिए अलग से कोई बिंदु नहीं दिया गया है। हालांकि चिकित्सक महिला मरीजों की जांच के लिए अपने साथ एक महिला स्टाफ ले जाते हैं, किंतु पैरामेडिकल स्टाफ के लिए ऐसा भी नहीं है। कई बार पुरुष पैरामेडिकल स्टाफ महिला वार्ड में लगातार उपस्थित मिलता है। निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाने का सीधा अधिकार सीएमओ एवं जिला प्रशासन का भी नहीं होता। उधर, उत्तर प्रदेश में क्लीनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट लागू होने की कतार में है, जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। सीएमओ डा. राजकुमार का कहना है कि बीमारी पर निर्भर है कि कौन सा डाक्टर महिला वार्ड में जाएगा, किंतु उनकी सुरक्षा के लिए अलग से कोई गाइडलाइन नहीं है।  

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.