बारिश के बाद फट सकता है बीमारियों का 'बादल'
बारिश के बाद डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया का रिस्क ज्यादा, फंगल संक्रमण से झुलसेगी त्वचा। प्रतिरोधक क्षमता हुई न्यून, प्रदूषित पानी से स्किन व आंतें गल सकती हैं।
मेरठ। बारिश के बाद सेहत पर चौतरफा संकट है। मच्छर एवं जलजनित बीमारियों को भरपूर खुराक मिली है। नम मौसम में कई प्रकार के वायरस, फंगस और बैक्टीरिया सक्रिय होंगे। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में उफान तय है, जबकि स्किन और पेट की बीमारियां भी मुंह बाए खड़ी हैं।
अगस्त और सितंबर डेंगू और चिकनगुनिया के लिए संक्रामक माह होता है, किंतु इस बार वायरस पहले दस्तक दे सकता है। नालों से उफनकर घरों में घुसा पानी पीलिया, टायफायड, डायरिया और गैस्ट्रो की बीमारियों की वजह बनेगा। इसमें तैरने वाले विषाक्त रसायनों से कई प्रकार के जटिल चर्म रोग होते हैं। जलजमाव से पैदा होने वाली मक्खियां खाद्य श्रृंखला में पहुंचकर पेट को संक्रमित करती हैं। तमाम प्रकार के फंगस पनपने से न सिर्फ चर्म रोग बढ़ेगा, बल्कि ये बीमारियां बनेंगी सिरदर्द
-गैस्ट्रोएंट्रोटाइटिस व फूड प्वाइजनिंग
-टायफॉयड-सल्मोनेला बैक्टीरिया की वजह से
-कालरा-वाइब्रो कोलेरा बैक्टीरिया
-इंफ्लुएंजा-फ्लू
-चिकनगुनिया, डेंगू व मलेरिया-मच्छरजनित बीमारियां
-चर्म रोग-डर्मटोफाइटस 'फंगस'
-सीओपीडी के मरीजों में फंगल इन्फेशन-एस्पिरजिलिएस इंफेक्शन
-स्कर्ब टाइफस- यह मच्छरजनित बीमारी है। रिक्टेलिया ग्रुप की बैक्टीरिया है वजह। बुखार, शरीर दर्द के साथ गुर्दा तक फेल हो सकता है। सीएमओ डा. राजकुमार का कहना है कि संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए नगर निगम के साथ मिलकर एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। घर के आसपास जलजमाव न होने दें। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार है। सीओपीडी व दमा के मरीजों को फंगल संक्रमण जल्द पकड़ता है। गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग का कहना है कि इस मौसम में मूत्र रोग भी ज्यादा होता है। आर्द्रता से बीपी में उतार चढ़ाव का असर किडनी पर पड़ता है। गर्मी में पसीना निकलता है, जबकि बरसात में शरीर में पानी रुकने से किडनी में सूजन मिलती है। मलेरिया, डेंगू व स्कर्ब टाइफस में किडनी फेल्योर ज्यादा होता है। साफ पानी पीएं। ये कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेदाचार्य डा. ब्रजभूषण शर्मा का कहना है कि वर्षा ऋतु में दही, मठ्ठा व कढ़ी बिल्कुल न खाएं। इस मौसम में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऐसे में आरोग्यवर्धनी बटी व नीम की गोली खाएं। तुलसी, काली मिर्च, अजवाइन, लौंग बेहद उपयोगी है। त्वचा पर संक्रमण रोकने के लिए महामारीचिकादि तेल लगाएं। फर्श पर सेंधा नमक का पोछा लगाएं। यह कीटाणुनाशक है। क्या कहती है नेचुरोपैथी
नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डा. प्रदीप भागवत का कहना है कि बारिश में प्रतिरोधक क्षमता गिरती है, ऐसे में अग्नितत्व बढ़ाने के लिए सोंठ, लौंग, अदरक का सेवन करें। लहसुन की कली खाएं। गरम पानी में थोड़ी देर पैर डालकर बैठें। गीला कपड़ा बदन से तत्काल उतार दें। सूर्यभेदी प्राणायाम करें, जिससे शरीर गरम रहेगी।