दावा नाला सफाई का..सूरत-ए-हाल कुछ और है
बारिश में शहर की जलनिकासी को सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम ने नाला सफाई का कार्य पूरा कर लिया है। एक अप्रैल से शुरू यह विशेष सफाई अभियान शुरू हुआ था। नाला सफाई की 35 पेज की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने तैयार की है। जिसमें प्रत्येक नाले की सफाई का विवरण अंकित किया गया है।
मेरठ, जेएनएन : बारिश में शहर की जलनिकासी को सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम ने नाला सफाई का कार्य पूरा कर लिया है। एक अप्रैल से शुरू यह विशेष सफाई अभियान शुरू हुआ था। नाला सफाई की 35 पेज की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने तैयार की है। जिसमें प्रत्येक नाले की सफाई का विवरण अंकित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कुल 315 छोटे-बड़े नाले हैं। जिनमें बड़ी पोर्कलेन मशीन से सूरजकुंड जोन के छह बड़े नाले, दिल्ली रोड जोन के छह बड़े नाले और कंकरखेड़ा जोन के दो बड़े नालों की सफाई कराई गई है। जबकि शेष छोटे नालों की सफाई छोटी पोर्कलेन मशीन से कराई गई है। कुल पांच बड़ी पोर्कलेन, 10 छोटी मशीन नाला सफाई में लगाई गई थीं। सिल्ट उठाने के लिए कुल आठ जेसीबी और 20 ट्रैक्टर लगाए गए थे। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एक अप्रैल से नाला सफाई का विशेष अभियान शुरू हुआ था। 20 जुलाई तक सभी नालों की सफाई पूरी कर ली गई है। बड़े नालों में आबू नाला एक, आबू नाला दो, चिंदौड़ी नाला, बच्चा पार्क नाला, मकाचीन नाला, गुर्जर चौक वाला नाला, रुड़की रोड नाला, नंगलाताशी नाला, ओडियन नाला, फिल्मीस्तान नाला, बनियापाड़ा पुलिस चौकी वाला नाला, कोटला नाला, टीपी नगर नाला, दिल्ली रोड नाला की सफाई बड़ी पोर्क लेन मशीन से की गई है।
27 नालों की सफाई मजदूरों से
रिपोर्ट के मुताबिक शहर के 27 नालों की सफाई में मजदूर लगाने का भी दावा है। करीब 843 मजदूर लगाने का दावा है। प्रमुख रूम से खैरनगर पुलिस चौकी से छतरी पीर का नाला, घंटाघर से महिला अस्पताल, केसरगंज पुलिस चौकी वाला नाला, माछेराल पूर्वा फैयाज अली मयूर होटल वाला नाला, जलीकोठी ढलाव वाला नाला, ब्रह्मापुरी से झंडा चौक नाला, बहादुर मोटर्स से मस्जिद तक ईरा मॉल का नाला, खत्ता रोड नाला, ईदगाह चौक से किशनपुरी नाला, आंबेडकर नगर का नाला, शारदा रोड नाला, रेलवे रोड से अलकरी रेस्टोरेंट नाला शामिल है।
प्रतिदिन 500 लीटर रही डीजल की खपत
मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय के अनुसार सफाई के लिए प्रतिदिन 500 लीटर डीजल की खपत रही। विशेष सफाई अभियान एक अप्रैल से शुरू हुआ था। 20 जुलाई तक कुल 111 दिन हुए हैं। लगभग 65 रुपये प्रति लीटर की दर से 36 लाख रुपये से अधिक नाला सफाई पर खर्च होने का दावा है। जबकि मजदूरों की दिहाड़ी भी जोड़ दी जाए तो खर्च 40 लाख के ऊपर पहुंच जाएगा। कई बड़े नालों की सफाई मार्च के महीने में भी की गई है।
इन्होंने कहा-
एक अप्रैल से विशेष अभियान शुरू किया था। 20 जुलाई तक सभी नालों की सफाई पूरी कर ली गई है। 21 बड़े नालों की सफाई दो बार कराई गई है। कांवड़ यात्रा को देखते हुए नाला सफाई का काम पूर्व की तरह अभी जारी रहेगा। जहां पर भी कूड़ा-कचरा एकत्र पाया जाएगा। मशीनों से हटाने का काम होगा। सभी नाला सफाई प्रभारी को यह निर्देश दिया गया है। बारिश में जलनिकासी को लेकर महकमा अलर्ट पर रहेगा।
डॉ. गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ अधिकारी
नाला सफाई तो हुई है। लेकिन समस्या यह है कि पांच दिन बाद नालों की स्थिति फिर वैसी ही हो जाती है। जागरूकता की कमी है। शहर के नालों को लोगों ने डस्टबिन समझ लिया है। कूड़ा-गोबर नाले में ही डाला-बहाया जा रहा है। ऐसे लोगों को चिह्नित कर जुर्माना लगाने का नगर निगम एक्ट में प्रावधान है। लेकिन इसके दूरगामी परिणाम नहीं होंगे। लोग खुद जागरूक बने और नालों में कूड़ा न डालें।
डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया, नगर आयुक्त
..लेकिन ये है सूरते हाल
शहर के ये तीन नाले हैं। जो नगर निगम के दावे की हकीकत बयां कर रहे हैं। सुभाष नगर नाले के लिए कई धरना-प्रदर्शन के बाद भी कूड़े से अटा है। ओडियन नाला गोबर और कूड़े से भरा है। भैंसाली बस अड्डे के पीछे थापर नगर नाले की आठ साल से सफाई ही नहीं हुई है।