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बच्चों ने सुनी गुरुजनों के महत्व की कहानी

नई पीढ़ी को संस्कारों से सींचने की दैनिक जागरण की पहल के अंतर्गत आठवें सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इसके अंतर्गत पहले दिन 'शिक्षक का महत्व' विषय पर कहानी छपी और दूसरे दिन गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल अनिल कुमार की ओर से इसी विषय का लेख छापा गया। पहले दिन की कहानी के साथ ही बच्चों से कुछ प्रश्न पूछे गए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 09:10 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 09:10 PM (IST)
बच्चों ने सुनी गुरुजनों के महत्व की कहानी
बच्चों ने सुनी गुरुजनों के महत्व की कहानी

जागरण संवाददाता, मेरठ : नई पीढ़ी को संस्कारों से सींचने की दैनिक जागरण की पहल के अंतर्गत आठवें सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इसके अंतर्गत पहले दिन 'शिक्षक का महत्व' विषय पर कहानी छपी और दूसरे दिन गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल अनिल कुमार की ओर से इसी विषय का लेख छापा गया। पहले दिन की कहानी के साथ ही बच्चों से कुछ प्रश्न पूछे गए थे। इन प्रश्नों के साथ असेंबली गतिविधि के अंतर्गत दैनिक जागरण की टीम ने स्कूल पहुंची और बच्चों को शिक्षकों के महत्व से रूबरू कराया।

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जीटीबी स्कूल में दैनिक जागरण टीम के साथ पहुंची अंशु भारद्वाज ने जीटीबी स्कूल की असेंबली में कक्षा तीन से कक्षा 12वीं तक के बच्चों को शिक्षक के महत्व से संबंधित अखबार में छपी कहानी को पढ़कर सुनाया। उन्होंने बच्चों को सीधे संवाद के जरिए कहानी में निहित भाव को समझाया और उससे मिलने वाले लाभ के बारे में बताया। उसी कहानी से संबंधित प्रश्न भी बच्चों के लिए दिए गए थे। बच्चों से सवाल भी पूछा गया और उनके जवाब के साथ ही उसके भाव और उसमें निहित जीवन के बहुमूल्य सीख को भी समझाया गया। इतना ही बच्चों को इस सीख को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया जिससे वे बेहतर नागरिक बनकर देश की सेवा कर सकें।

छात्रों से सवाल और उनके जवाब

आर्यन जब घर आया तो वह इतना खुश क्यों था?

घर लौटने पर आर्यन इसलिए खुश था क्योंकि उसके पिताजी ने स्कूल के प्रिंसिपल को डांटा था और आगे से बच्चे को कुछ भी कहने के लिए मना किया था। - हंजला, कक्षा तीन

आर्यन के दादाजी के साथ रास्ते में चलते हुए क्या हुआ था?

आर्यन के दादाजी को तेज गति से आते हुए एक मोटर साइकिल सवार ने टक्कर मार दी और बदसलूकी की। 'रास्ते में से हट' कहकर अपमानित किया। उनके साथ जो हुआ बिलकुल उचित नहीं था। - प्रसंग अरोड़ा, कक्षा तीन

आर्यन को उसके दादाजी के बारे में बाइल चालक द्वारा अपशब्द कहे जाने पर बुरा क्यों लगा?

आर्यन अपने दादाजी से बहुत प्रेम करता था। वह उनकी इज्जत करता था। वह उसके अपने थे। इसलिए उनका अपमान वह सह न सका। - मन्नत कुमार, कक्षा पांच

आर्यन को अपने पिता द्वारा प्रिंसिपल की बेइज्जती पर बुरा क्यों नहीं लगा?

आर्यन प्रिंसिपल की इज्जत नहीं करता था। उसकी नजर में प्रिंसिपल का कोई सम्मान नहीं था। इसलिए जब उसके पिताजी ने प्रिंसिपल का अपमान किया तो उसे कतई बुरा नहीं लगा, बल्कि वह बेहद खुश था। - मोहित शर्मा, कक्षा सात

आर्यन के दादा ने उसके पिता को भूल का प्रायश्चित कैसे करवाया?

आर्यन के दादाजी उसके अपने बेटे व आर्यन के पिता की ओर देखकर मुस्कुराए और कहा कि जब बाइक सवार ने मुझे टक्कर मारी तो तुम्हें बुरा लगा और जब तुमने प्रिंसिपल का अपमान किया तो कैसा लगा था। - प्रांजल शर्मा, कक्षा पांच

आर्यन के पिता ने अगले दिन अपनी गलती का प्रायश्चित कैसे किया?

आर्यन के पिता ने प्रिंसिपल को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया और अपने गलत व्यवहार के लिए क्षमा मांगी। - अयान खान, कक्षा आठ

आर्यन के पिता ने आर्यन से किस प्रकार प्रायश्चित करवाया?

आर्यन ने प्रिंसिपल सर का पैर छूकर माफी मांगी और उनसे आर्शीवाद लिया। उसने प्रिंसिपल को भविष्य में ऐसा गलत व्यवहार न करने का वायदा किया। - हिताक्षी अरोरा, कक्षा आठ


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