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Chhath Puja 2021: सूर्य उपासना और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है छठ पूजन, जान‍िए आस्‍था के महापर्व का महत्‍व

Chhath Puja 2021 आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देव की उपासना और प्रकृति प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण है। छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय खाय के साथ शुरू होता है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 11:56 AM (IST)
Chhath Puja 2021: सूर्य उपासना और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है छठ पूजन, जान‍िए आस्‍था के महापर्व का महत्‍व
छठ पूजा सूर्य देव की उपासना और प्रकृति प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण है।

मेरठ, जेएनएन। आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देव की उपासना और प्रकृति प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण है। छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय खाय के साथ शुरू होता है। नहाय खाय के अगले दिन उपवास रख व्रती खरना पूजन करती हैं, इसके अगले दिन भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य शाम को दिया जाता है।

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छठ के अंतिम दिन प्रात: काल उदयीमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है, और इसके साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा होता है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसूत ने बताया कि नहाए खाय के साथ शुरू होने वाली छठ पूजा का पहला दिन 8 नवंबर दिन सोमवार को हैं। छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 9 नवंबर को है, पूजा में खरना का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखा जाता है, और रात में खीर का प्रसाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अघ्र्य 10 नवंबर दिन बुधवार को है। षष्ठी तिथि 9 नवंबर को शुरू होकर 10 नवंबर तक रहेगी।

छठ पूजा से जुड़ी एक मान्यता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल से हुई जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे। तब द्रोपदी ने चार दिनों तक इस व्रत को किया था। द्रोपदी ने सूर्य देव की उपासना कर उनसे अपना राजपाट वापस मांगा था।

इसके अलावा महाभारत काल से एक कथा और जुड़ी हुई है कि कर्ण भी भगवान सूर्य देव का परम भक्त थे और घंटो पानी में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे। जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें महान योद्धा बनने का आशीर्वाद दिया था। 


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