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Chhath Puja 2020: मेरठ में उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भक्तों ने किया व्रत का पारण

चार दिन के छठ पर्व के अंतिम दिन भक्तों में आस्था हिलोरे लेते नजर आई। अर्घ देने के स्थल पर मेले जैसा माहौल रहा। छठ पर ही ऐसा पर्व है जिसमें उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ अस्त होते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:25 AM (IST)
Chhath Puja 2020: मेरठ में उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भक्तों ने किया व्रत का पारण
मेरठ में भी भक्‍तों ने बढ़चढ़ कर छठ पूजा में हिस्‍सा लिया।

मेरठ, जेएनएन। Chhath Puja 36 घंटे अन्न जल त्याग कर व्रत रहने के बाद शनिवार को अर्घ्य देने के बाद भक्तों ने पारण किया। भगवान सूर्य और देवी षष्ठी से भक्तों ने परिवार विशेष रुप से बच्चों की लंबी आयु,कुशलता और समृद्धि की कामना की। कई महिलाओं ने संतान की कामना के लिए भी व्रत किया।

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चार दिन के छठ पर्व के अंतिम दिन भक्तों में आस्था हिलोरे लेते नजर आई। अर्घ देने के स्थल पर मेले जैसा माहौल रहा। आतिशबाजी भी छुड़ाई गई। छठ पर ही ऐसा पर्व है जिसमें उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ अस्त होते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। अमूमन त्योहारों में उगते हुए सूरज को ही जल अर्पित करने का प्रावधान है।

पूर्वांचल में दीपावली से भी अधिक लोकप्रिय छठ पर्व को लेकर मेरठ में जगह-जगह आयोजन किए गए। कोरोना संक्रमण के कारण गगोल तीर्थ और रामताल वाटिका में इस बार छठ पूजा प्रतिबंधित किए जाने से भक्तों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों ने जगह-जगह बनाए गए अस्थाई कुंड में अर्घ देने का प्रबंध किया। कोरोना का खौफ भक्तों के उत्साह और आस्था की तरंग में छूमंतर होता नजर आया। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के लिए लोग तड़के 4:00 बजे से पहुंचने लगे। 36 घंटे तक बिना खाए पिए जल में खड़े लोगों को देखकर भक्ति की शक्ति का सहज ही आभास हो रहा था।

आयोजन लोगों ने छोटे स्तर पर किए। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है कि चौबे के घर में छठ पूजा का आयोजन किया गया विश्वविद्यालय परिसर में रहने वाली महिलाओं ने पूजन में भाग लिया। गांधी आश्रम में कपड़े की धुलाई करने के लिए बने हौजों में में पानी भरकर अर्घ्य देने का प्रबंध किया गया। यहां पर पांडव नगर, मोहनपुरी शास्त्री नगर से लोग पूजा करने पहुंचे।

दो दिवसीय छठ पूजा महोत्सव का समापन 

इस बीच मेरठ के मवाना में तीन दिवसीय छठ पूजा महोत्सव के अंतिम दिन महिला श्रद्धालुओं ने शनिवार सुबह जलाशय में खड़े होकर पूजा अर्चना की और उगते सूरज को अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण किया। अर्घ्य देने के उपरांत ही व्रती महिलाओं ने व्रत खोला। मवाना शुगर वर्क्स के चिल्ड्रन पार्क में चल रहे छठ पूजा के अंतिम दिन शनिवार को प्रात: महिला श्रद्धालुओं ने पौ फटने से पहले सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा अर्चना कर व्रत खोला। श्रद्धालु शिव यतन गुप्ता ने बताया कि सूर्योपासना के लिए छठ प्रसिद्ध पर्व है। छठ मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चेत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैत्री छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिक छठ कहा जाता है। छठ का व्रत पति व संतान की दीर्घायु व पुत्र प्राप्ति एवं पारिवारिक सुख समृद्धि के लिये मनाया जाता है। इस पर्व को स्त्री पुरूष समान रूप से मनाते हैं। सच्चे मन से इस पर्व को करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। शनिवार को छठ पूजा महोत्सव का विशेष पूजा अर्चना के बाद समापन हो गया। इस मौके पर काफी श्रद्धालु मौजूद रहे।


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