बदलते शहर का मिजाज नहीं भांप रहे अधिकारी
मेरठ (योगेन्द्र सागर)। पश्चिम में मेरठ को अपराध का शहर कहा जाता है। अफसरों से लेकर सरकार तक इससे वाक
मेरठ (योगेन्द्र सागर)। पश्चिम में मेरठ को अपराध का शहर कहा जाता है। अफसरों से लेकर सरकार तक इससे वाकिफ है। लेकिन, वर्तमान में जिले का प्रशासनिक ढांचा कानून-व्यवस्था संभालने में कमजोर साबित हो रहा है। दरअसल सिस्टम संभालने वाले ज्यादातर अधिकारी नए हैं। वे बदलते शहर का मिजाज नहीं भाप पा रहे। शायद यही वजह है कि सिलसिलेवार आपराधिक वारदातों ने मेरठ को दहलाकर रख दिया है।
पहले रह चुके अधिकारियों के लिए भी चुनौती
वर्तमान एसएसपी राजेश कुमार पांडेय जिले में 11 साल पहले बतौर एसपी सिटी तैनात रहे चुके हैं, लेकिन एक दशक से अधिक समय में शहर की सूरत और सीरत में जमीन-आसमान का बदलाव हुआ है। इसी तरह वर्तमान में एसपी सिटी श्रीप्रकाश द्विवेदी भी बरसों पहले सीओ कोतवाली रह चुके हैं, लेकिन अब अपराधी और अपराध करने का ट्रेंड काफी बदल चुका है। ऐसे में नए अधिकारियों के शहर और जिले के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा।
बदमाशी की नई पौध नहीं आ रही शिकंजे में
पुराने बदमाशों को पर पुलिस भले ही शिकंजा कस रही हो, लेकिन अपराध की नई पौध काबू में नहीं आ रही है। बीते दिनों हुई बड़ी वारदातों ने यह साबित किया है कि अपराध के नए रहनुमा निकलकर सामने आ रहे हैं। ऐसे में नए नए गैंगों का खात्मा करना अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
तीन घंटे बाद भी जानकारी नहीं दे सके अधिकारी
रविवार को गाजियाबाद के कारोबारी की हत्या के बाद एक अधिकारी की कार्यशैली ने हतप्रभ कर दिया। शहर की कानून-व्यवस्था का जिम्मा संभाल रहे एक अधिकारी घटना के बाद मौके पर पहुंचे, अस्पताल भी गए और अधीनस्थों को दिशा निर्देश भी दिए। लेकिन घटना के तीन घंटे बाद तक वह घटना की जानकारी देने में असमर्थ रहे।
मुखबिर तंत्र फेल, तकनीक के भरोसे पुलिसिंग
एक जमाना था, न तो सर्विलांस होता था और न ही टेलीकॉम कंपनियों की सुविधा होती थी। पुलिस विभाग पूरी तरह मुखबिर के भरोसे रहता था। घटना हुई नहीं कि सुरागरसी मिल जाती थी। अब यह मुखबिर तंत्र बेहद कमजोर हो चुका है। अब पुलिसिंग पूरी तरह तकनीक पर सीमित होकर रह गई है और बदमाश दो कदम आगे आकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।