Cartridges In Meerut: खाकी की नाक के नीचे से कारतूस निकाल लाया सदरुद्दीन का परिवार, पूरा नेटवर्क खंगाल रही पुलिस
Cartridges In Meerut मेरठ पुलिस को यह बड़ी सफलता हाथ लगी है। 15 साल से सदरुद्दीन का परिवार करोड़ों रुपये का असलाह और कारतूस बेच चुका है। परिवार की महिलाएं भी घर पर कारतूस बनाती थीं। कारतूस बनाने के उपकरण और विस्फोटक भी मिला है।
सुशील कुमार, मेरठ। Cartridges In Meerut शबी और रजी हथियार और कारतूस के बड़े सप्लायर हैं। बदमाशों के बड़े गैंग की मांग पर उन्होंने अपने चचेरे भाई और देवबंद जीआरपी में तैनात जहीन से पुलिस मालखाने में सेंध लगवाकर सरकारी कारतूस हासिल किए। सरकारी कारतूसों की मनमानी कीमत वसूलते थे। इटली के कारतूस लावड़ निवासी शमीम पीएल शर्मा रोड से दिला रहा था। हालांकि दोनों भाइयों का दावा है कि शिकार करने के मकसद से उन्होंने कारतूस और असलाह घर में छिपा रखा था।
बाहरी लोगों को माध्यम नहीं बनाया
15 साल से सदरुद्दीन का परिवार करोड़ों रुपये का असलाह और कारतूस बेच चुका है। परिवार की महिलाएं भी घर पर कारतूस बनाती थीं। कारतूस बनाने के उपकरण और विस्फोटक भी पुलिस को मिला है। कारतूस सप्लाई में बाहरी लोगों को माध्यम नहीं बनाते थे, जिससे वे अब तक पुलिस से बेचते रहे। क्राइम ब्रांच के कुछ सिपाहियों से भी उनका मेल-जोल है। उनके बचने में पुलिस की भी अहम भूमिका है।
सिपाही से खरीदे थे कारतूस
रजी ने कुछ दिन पहले अफजाल के घर पर सिपाही प्रवीण का सहारा लेकर गोकशी पकड़वाई थी। थाने या पुलिस लाइन के मालखाने में कारतूस कम होने पर शबी और रजी से लेकर ही इनकी पूर्ति की जाती थी। हर थाने और पुलिस लाइन में मालखाना इंचार्ज तक के नंबर उनके मोबाइल में मिले है। एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता को सिपाही जहीन की रिपोर्ट भी भेज दी गई है। सिपाही की गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा कारतूस कहां से चोरी किए गए। रजी और शबी ने बताया कि कारतूस सिपाही से पांच हजार रुपये में खरीदे थे।
तीन बिंदुओं पर बैठी जांच
बिंदु 1 : जीआरपी सिपाही जहीन पुत्र जाहिद ने उन्हें पुलिस के कितने सरकारी कारतूस कहां से और किस दर पर बेचे थे। उस थाने के मालखाने में कारतूसों की पूर्ति कैसे की गई। सरकार कारतूसों की बिक्री में अन्य लोगों का जुड़ाव।
बिंदु 2 : शबी और रजी ने दावा किया है लावड़ के शमीम ने पीएल शर्मा रोड से इटली के कारतूस 50 हजार रुपये में खरीदवाए थे। पुलिस जांच कर रही है कि किस दुकान से बिना लाइसेंस के कारतूस बेचे जा रहे हैं। शमीम का दुकानदार से कनेक्शन, उसने कहां कारतूस की सप्लाई दी है।
बिंदु 3 : रजी और शबी खालिस्तानी आतंकी संगठन को तो कारतूस सप्लाई नहीं कर रहे थे। उनका किसी गैंग से जुड़ाव तो नहीं है।
इनका कहना है
पुलिसकर्मियों से जुड़ाव समेत शबी और रजी का पूरा नेटवर्क खंगाला जा रहा है।
- प्रभाकर चौधरी, एसएसपी