CAA Protest in Meerut : गंगा-जमुनी सभ्यता रहे सलामत, रखा अमन का रोजा और कुबूल हो गई दुआ Meerut News
यह एक अपील का ही असर था कि अमन के हिमायती तमाम लोगों ने भी रोजा रखकर गंगा-जमुनी सभ्यता को सलामत रखने की दुआ की..और दुआ कुबूल भी हो गई।
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। CAA Protest in Meerut फसाद किसी समस्या का समाधान नहीं बल्कि दिल के फासले ही बढ़ाता है। इस सच्चाई से हम वाकिफ हैं लेकिन फिर भी इस रास्ते पर चलने से परहेज करते हैं। पिछले जुमे को खराब हुई शहर की फिजा को सुधारने के मकसद से ही शायद इस बार यह अनूठी पहल हुई। उलमा और इस्लामिक विद्वानों की अपील का तो अपना असर था, लेकिन अमन के हिमायती तमाम लोगों ने भी रोजा रखकर गंगा-जमुनी सभ्यता को सलामत रखने की दुआ की..और दुआ कुबूल भी हो गई।
पैगाम का दिखा असर
मौलाना सज्जाद नोमानी साहब का पैगाम पिछले दो-तीन दिन से सोशल मीडिया पर छाया था, जिसमें कहा गया था कि अल्लाह ही मदद कर सकता है। ऐसे में अगर अधिक से अधिक मुसलमान रोजा रखकर मगरिब के वक्त एक साथ दुआ करेंगे तो न जाने किसके तुफैल से अल्लाह हमारी दुआ कुबूल कर ले। इस पैगाम का असर मेरठ के कई इलाकों में देखा गया।वहीं, गुरुवार को फतेहउल्लापुर में कई मस्जिदों से बाकायदा यह एलान हुआ कि-आज रोजा रखें। फतेहउल्लापुर निवासी यासमीन ने बताया कि गुरुवार रात में ही रोजा की तैयारी कर ली थी। सुबह मस्जिद से सहरी व इफ्तारी के वक्त का एलान भी किया गया।
पीड़ा की वो लकीर
लक्खीपुरा निवासी शमा ने बताया कि पिछले कई दिन से शहर का माहौल खराब था। हमारा गांव भी दहशत में रहा। यूं भी रोजा रखती हूं, शुक्रवार को परिवार की सुरक्षा और अमन-चैन की अल्लाह से दुआ करते हुए रोजा रखा। वहीं, नायब शहर काजी जैनुर राशिद्दीन ने कहा कि बवाल और दंगों में हमेशा गरीब आदमी ही शिकार बनता है। ठेले वाले, कारीगर और छोटा-मोटा काम करने वालों की रोजी-रोटी प्रभावित होती है।
बवाल से सिर्फ नुकसान होता है
उमर नगर के आसिफ कपड़े बेचने का काम करते हैं। कहते हैं, बवाल और तोड़फोड़ से किसी का फायदा नहीं होता, सिवा नुकसान के। पिछले दिनों हुए बवाल के चलते कई दिन तक कामकाज ठप रहा। परिवार की गुजर मुश्किल हो गई। इस बार ऐसे हालात न हों, यह सोचकर रोजा रखा। शाहपीर गेट, भाटवाड़ा, लालकुर्ती क्षेत्र से काफी संख्या में महिला और पुरुषों ने रोजा रखा।
इनका कहना है
रोजा और नमाज सिर्फ अल्लाह के लिए होती है। इसका किसी और से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन रोजा रखना अच्छी बात है। अल्लाह की बंदगी जितनी हो, उतना अच्छा है।
- जैनुस साजिद्दीन, शहर काजी