UP Panchayat Election Result: दलगत राजनीति पर हावी दिखा बिरादरीवाद, दिग्गजों की सीट फंसी
गांवों की सरकार बनने की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। अब तक जिला पंचायत सदस्यों के रुझान से साफ है कि ग्रामीणों ने दलगत राजनीति के बजाय जाति व संबंधों के आधार पर वोट किया। इसी कारण कई दिग्गजों की सीट फंसती दिख रही है।
[लोकेश पंडित] बुलंदशहर। गांवों की सरकार बनने की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। अब तक जिला पंचायत सदस्यों के रुझान से साफ है कि ग्रामीणों ने दलगत राजनीति के बजाय जाति व संबंधों के आधार पर वोट किया। यही कारण रहा कि पंचायत राजनीति के कई दिग्गज व निवर्तमान सदस्यों की सीट फंसती दिख रही है। राजनीति में बिल्कुल नए चेहरे उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
जिला पंचायत चुनावों में भाजपा, बसपा, सपा, कांग्रेस, रालोद व असपा समेत सभी पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा एकमात्र पार्टी रही जिसने सभी 52 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। कांग्रेस, रालोद,,,, बसपा व असपा ने चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को अपना समर्थित बताया है। हालांकि पार्टी सिंबल से चुनाव नहीं हुआ लेकिन पार्टी का रंग, ढंग और झंडे का खूब प्रयोग हुआ। पार्टी के मंत्री, सांसद व विधायक तक चुनाव प्रचार में लगे रहे। अधिकांश सीटों पर राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी आपस में लड़ने के बजाय निर्दल
चौंकाने वाले रुझान
मतगणना के दौरान जिला पंचायत सदस्यों के चौकाने वाले रुझान आने लगे। भाजपा, बसपा, सपा व रालोद प्रत्याशी अपनी सीटों पर बुरी तरह फंसे दिखे। जिला पंचायत की राजनीति के दो धुरंधरों का चेहरा पसीने से तर बतर रहा। यह दोनों ही प्रत्याशी कुनबे के साथ चुनाव मैदान में हैं। शाम तक आए परिणाम में इन पांचों ही सीटों पर कड़े मुकाबले में नए चेहरे इन दोनों दिग्गजों का कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इससे साफ है, ग्रामीणों ने राजनीतिक दलों को कम ही तवज्जो दी है। भाजपा के अंगुलियों पर गिने जाने वाले प्रत्याशी ही मुख्य मुकाबले में नजर आए। रालोद की हालत भी कमोवेश ऐसी ही दिखी। कांग्रेस के जिले में खाता खोलने पर भी संशय है। बसपा कई सीटों पर मुख्य मुकाबले में है। असपा ने भी एक सीट पर बढ़त बनाती दिखी। हालांकि जिला पंचायत सदस्यों के परिणाम सोमवार सुबह तक घोषित हो पाएंगे और असली तस्वीर तो तभी साफ हो पाएगी।