दो दिन मेरठ में डेरा डालेंगे बृजलाल, जानिए क्या टास्क मिला है उनको
अनुसूचित वर्ग को साधने के सिलसिले में भाजपा ने एक और कदम उठाया है। पूर्व डीजीपी बृजलाल मेरठ में दो दिन के लिए आ रहे हैं।
मेरठ (संतोष शुक्ल)। पश्चिमी उप्र में अनुसूचित वर्ग को साधने के लिए भाजपा नए तीर आजमाएगी। एससी-एसटी एक्ट को लेकर दो अप्रैल को भड़की हिंसा में युवकों के फंसने के मामले की समीक्षा पूर्व डीजीपी बृजलाल करेंगे। इसी बहाने मायावती की भी घेरेबंदी की जाएगी। मथुरा, आगरा एवं मेरठ के बाद वह पश्चिम उप्र के कई अन्य शहरों में भी जाएंगे।
रावण की रिहाई के बाद गरमाई राजनीति
भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। बसपा नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। रावण ने भाजपा के खिलाफ हल्ला बोल दिया है तो भाजपा ने भी इसकी काट निकालनी शुरू कर दी है। 18 अप्रैल-18 को पूर्व डीजीपी बृजलाल को पार्टी ने एससी-एसटी आयोग की कमान दी। पहली बार पूरी टीम अनुसूचित वर्ग से चुनी गई। मायावती एवं अखिलेश के कार्यकाल में इस आयोग के 17 में सिर्फ पांच सदस्य अनुसूचित वर्ग के थे। इसमें पश्चिम उप्र को भी तवज्जो मिली है। एससी-एसटी एक्ट को लेकर भाजपा विरोधियों के निशाने पर रही है। ऐसे में सात अक्टूबर को बृजलाल एडीजी, आइजी, डीएम, एसएसपी व अन्य अधिकारियों के साथ इस एक्ट के अंतर्गत दर्ज मामलों की समीक्षा करेंगे। इस बहाने भाजपा अनुसूचित वर्ग को निष्पक्ष एवं सहानुभूतिपूर्वक जांच का संदेश देगी। दो अप्रैल को अनूसूचित वर्ग के काफी युवकों पर मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसके बाद भाजपा ने हवा का रुख परखते हुए तेवर नरम किए। अनुसूचित वर्ग के नेताओं को उनके घरों तक दौड़ाना पड़ा।
बूथ तक आरक्षण
2014 लोकसभा एवं 2017 विस चुनाव में भाजपा की जीत में अनुसूचित वर्ग का बड़ा योगदान था, जिस पर पार्टी की पकड़ ढीली हुई है। हाल में मेरठ में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति में सीएम योगी व पूरी टीम ने टिफिन साझा कर अनूसूचित वर्ग को रिझाने का प्रयास किया।
रविदास जयंती पर बसपा को घेरेगी भाजपा
रविदास जयंती को लेकर भाजपा नए सिरे से बसपा की घेरेबंदी में जुटेगी। दौराला में आठ अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम में पूर्व डीजीपी बृजलाल खासतौर से मायावती पर निशाना साधेंगे। उनका तर्क है कि 20 मई 2002 को मायावती ने एससी-एसटी एक्ट को संशोधन के बहाने कमजोर किया था। सिर्फ तीन मामलों को छोड़कर अन्य को आइपीसी के अंतर्गत शामिल किया गया, जिसे भाजपा सरकार ने मजबूत किया है। इधर, भाजपा के रणनीतिकारों की मानें तो बृजलाल मायावती के समय में चल रहे एससी-एसटी आयोग की भी पोल खोलेंगे, जिसमें तीनों उपाध्यक्ष गैर-अनुसूचित वर्ग के थे। पार्टी चंद्रशेखर पर हमलावर नहीं रहेगी, बल्कि पूरा फोकस बसपा के साथ ही महागठबंधन होगा।