शाह-योगी ने किया रुख साफ, चुनाव को धर्मयुद्ध मानकर लड़ेगी भाजपा
बुलंदशहर में अमित शाह और योगी आदित्यनाथ पार्टी का रुख बिल्कुल साफ कर दिया है। भाजपा लोकसभा चुनाव को धर्मयुद्ध मानकर लड़ेगी।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। भाजपा का चुनावी रथ हिंदुत्व की पटरी पर ही दौड़ेगा। बुलंदशहर में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जोड़ी ने पार्टी का रुख शीशे की तरह साफ कर दिया। जय श्रीराम के नारे के साथ मंदिर मुद्दे पर विशेष फोकस करते हुए 2019 चुनाव को धर्मयुद्ध बताकर बड़ा सियासी संकेत दिया। उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास से 42 एकड़ जमीन मांगी है, जिस पर न्यायालय की मुहर लगनी है। उधर, पश्चिमी उप्र की सियासी तासीर देखते हुए पलायन का भी तीर हवा में छोड़ दिया।
धर्म संसद ने उड़ाई नींद
प्रयागराज में संत समाज ने धर्मसंसद आयोजन कर भाजपा की नींद उड़ा दी थी। कई संतों ने इस संसद का बहिष्कार किया था, जिस पर सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद ही संतों के बीच पहुंचे। इसका असर अमित शाह के संबोधन में साफ नजर आया। पूछा-कांग्रेस, सपा, बसपा एवं अन्य दल राम मंदिर पर अपना पक्ष रखने की हिम्मत क्यों नहीं जुटाते हैं? सियासी पंडितों की मानें तो भाजपा इस बहाने विरोधी दलों को उकसाना चाहती है, ताकि उनके बयान का सीधा फायदा मिल सके।
पलायन भी जिंदा है
किसान बेल्ट में संबोधन के दौरान अमित शाह ने पहले पश्चिमी उप्र में पलायन का मुद्दा छेड़ा। उन्होंने एंटी रोमियो टीम और पश्चिमी उप्र में स्कूली लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाओं का जिक्र करते हुए नब्ज पर हाथ रखा। सीएम योगी की तारीफ करते हुए कहा कि माफिया और मनचलों को उल्टा लटकाकर सीधा कर दिया गया। इस पर जोरदार तालियां बजीं। इससे साफ है कि पश्चिम में ये मुद्दा कभी भी सियासी पारा चढ़ा सकता है। हालांकि, अमित शाह ने किसानों को भी कनेक्ट किया। गन्ना बकाया भुगतान के लिए 50 हजार करोड़ देने के साथ ही धान एवं गेहूं किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की भी चर्चा की।
भांपा चुनावी पारा, चले सियासी तीर
बुलंदशहर में पार्टी कार्यालय शुभारंभ के बहाने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं के सामने रोडमैप पेश कर दिया। पार्टी भांप चुकी है कि महज विकास का राग अलापने से मतदाताओं को नहीं साधा जा सकता। ऐसे में मंदिर के मुद्दे पर पार्टी नए कलेवर में लौट रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 लोकसभा चुनाव को धर्मयुद्ध बताया, वहीं जय श्रीराम के नारे के साथ संबोधन खत्म किया। उन्होंने महज पांच मिनट का संबोधन दिया, जो ज्यादातर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा।
विकास कार्यों पर राम मंदिर को तरजीह
पार्टी पश्चिम उप्र में तमाम विकास कार्यों का दावा करती रही है, किंतु मंच से महज राम मंदिर, पश्चिम में पलायन, सर्जिकल स्ट्राइक और घुसपैठियों के जरिए आतंक से खतरे पर चर्चा की गई। शाह ने चुनावी पारे को भांपते हुए राम मंदिर पर नए तेवर के साथ अपनी बात रखी। स्पष्ट किया कि राम मंदिर गर्भगृह वाले स्थान पर ही बनेगा। यह पार्टी का अटल निर्णय है। न्यास से 42 एकड़ जमीन मांगने की विश्व हिंदू परिषद ने भी तारीफ की है, जिससे भाजपा का मनोबल बेहतर हुआ है। इस बीच एक दर्शक ने शंख बजाया तो दर्शकों का मनोबल और बढ़ गया।