इस जादुई शीशी से घटेगा वायु प्रदूषण, फसल अवशेषों को खेत में ही कर देगी नष्ट
बागपत में दस हजार किसानों को मुफ्त दिया जाएगा बायो डिकंपोजर। फसल अवशेषों को खेत में ही नष्ट कर बना देगा खाद। बायो डिकंपोजर गाय के गोबर से बना है। इसमे सूक्ष्म जीवाणु होते हैं जो फसल अवशेष गोबर जैव कचरे को खाकर खाद में परिवर्तित करते हैं।
बागपत, जेएनएन। कृषि विभाग पराली या अन्य फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए अब
किसानों को बायो डिकंपोजर मुफ्त देगा। गाय के गोबर से तैयार यह दवा जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ाएगी।फसल काटने के बाद कुछ किसान गन्ना, धान, गेहूं आदि के अवशेष खेत में ही जला देते हैं, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है।
जिला कृषि अधिकारी डा. सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि यह डिकंपोजर अवशेषों को खेत में ही नष्ट करके खाद में तब्दील कर देगा। बागपत के 10 हजार किसानों को मुफ्त देने के लिए बायो डिकंपोजर मंगा लिया है। एक शीशी की कीमत 20 रुपये है।
ऐसे करता है काम
बायो डिकंपोजर गाय के गोबर से बना है। इसमे सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जो फसल अवशेष, गोबर, जैव कचरे को खाकर खाद में परिवर्तित करते हैं। तेजी से अपनी संख्या में बढ़ोत्तरी करते हैं। हानिकारक कीटाणुओं को खत्म कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाते हैं।
इस्तेमाल की विधि
शीशी में 25 मिली. बायो डिकंपोजर है। एक शीशी डिकंपोजर 200 लीटर पानी और दो किलो गुड़ के साथ मिलाकर सात दिन ड्रम में भरकर रखना होता है। सुबह-शाम इसे लकड़ी से हिलाते रहें। झाग उठने पर फसलों के अवशेष पर इसका छिड़काव करना चाहिए। एक शीशी की मात्रा एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त है। इससे अवशेष गलकर मिट्टी में मिल जाएंगे, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। इससे फसल अवशेष जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी। एडीओ कृषि महेश कुमार खोखर ने बताया कि डिकंपोजर की किसानों में खासी मांग है।