पर्यावरण 'प्रीत' का 'नूर' बना बिजनौर का गुरप्रीत
पेड़ पौधों की रक्षा बना छात्र की ¨जदगी का हिस्सा। महज सात साल की उम्र से वह खेलकूद छोड़कर पर्यावरण का संदेश दे रहा है।
जागरण संवाददाता, बिजनौर। उसे बचपन से खेलने-कूदने का शौक नहीं। उसे तो पर्यावरण संरक्षण का जुनून है। बर्थ डे हो या त्योहार वह पौधे लगाकर खुशियां मनाता है।
महज सात साल की उम्र से वह खेलकूद छोड़कर पर्यावरण का संदेश दे रहा है। महज 17 साल का गुरुप्रीत नूर युवा वर्ग के लिए पर्यावरण का 'नूर' है। गुरप्रीत पर्यावरण के क्षेत्र में राज्यस्तरीय कई पुरस्कार जीत चुका है। पर्यावरण की रक्षा और जागरूकता उसकी दिनचर्या का हिस्सा है।
राजा का ताजपुर निवासी गुरप्रीत नूर बीए प्रथम वर्ष का छात्र है। पिछले करीब एक दशक से वह पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने रचनात्मक कार्यो में निरंतर लगा हुआ है। पर्यावरण के प्रति गुरप्रीत के मन में इस कदर प्रेम है कि वह अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटता है। वह मित्रों के साथ मिलकर पौधा लगता है।
इलाके में हरे पेड़ों पर आरा चलते देख वह फौरन पुलिस के पास पहुंचकर सूचना देता है।
गुरप्रीत ¨सह स्कूल छात्र छात्राओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा कर रहा है। पर्यावरण निदेशालय से आदेश के पर्यावरण वैज्ञानिकों के बीच जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता, ध्वनि प्रदूषण तथा पर्यावरण संरक्षण में बच्चों की भूमिका विषय पर वह अपनी प्रस्तुति दे चुका है। वर्ष 2009 में गुरप्रीत का जैव-विविधता पर बना पोस्टर राज्य पर दूसरे स्थान पर रहा था। ग्रामीण परिवेश में पला-बढ़ा गुरप्रीत संगीत तथा पर्यावरण प्रतियोगिता के क्षेत्र में अब तक जिले के लिए कई बार पुरस्कृत हो चुका है। जिलाधिकारी अटल राय ने राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए समाजसेवी गुरप्रीत ¨सह के नाम की संस्तुति की है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वह राज्य सरकार से सम्मानित हासिल कर चुका है।
गरीब बच्चों के चेहरे पर लाता त्योहार की खुशियां
गुरप्रीत ¨सह बचपन से ही पर्यावरण की रक्षा के लिए दीपावली पर पटाखे नहीं छोड़ता है। इस वर्ष भी उसने दीपावली पर पटाखे नहीं छोडे़ बल्कि आतिशबाजी पर खर्च होने वाली धनराशि से वह गरीब बच्चों में मिठाई, कपडे़ तथा किताबों का वितरण कर उनकी चेहरे पर खुशियां लाता है।