Bijli Bamba Bypass: मेरठ के बिजली बंबा बाईपास पर आधुनिक तकनीक के समय में पुराने ढर्रे पर बनती रही सड़क
Bijli Bamba Bypass दो दिनों से बिजली बंबा बाईपास बंद है। आधुनिक तकनीक के समय में जहां रैपिड रेल के लिए बन रहे पिलरों का निर्माण प्री कास्टिंग स्ट्रक्चर के जरिए तेजी से हो रहा है वहीं रेलवे का निर्माण विभाग पुराने ढर्रे पर कर रहा है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। मेरठ में जुर्रानपुर फाटक के दोनों ओर कुल 60 मीटर लंबी और 12 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण के लिए रेलवे ने 26 घंटे का समय लिया था। पुलिस ने विशेष परिस्थितियों को देखते हुए 32 घंटे तक बिजली बंबा बाईपास पर वाहनों का आवागमन बंद किया है। आधुनिक तकनीक के समय में जहां रैपिड रेल के लिए बन रहे पिलरों का निर्माण प्री कास्टिंग स्ट्रक्चर के जरिए तेजी से हो रहा है, वहीं रेलवे का निर्माण विभाग पुराने ढर्रे पर कर रहा है। मौके पर ही तारकोल गर्म किया जा रहा था। मशीनों से तेज गति उच्च गुणवत्ता की सड़क बनाने के बजाए अधिकांश काम हाथों से किया जा रहा है। श्रमिकों से सड़क की मिट्टी साफ कराई जा रही थी। मशीनों के नाम पर एक रोलर और जनरेटर चलित तारकोल और बजरी को मिक्स करने वाली मशीन थी। रविवार को देर शाम तक बंबा बाईपास का रास्ता खोले जाने की उम्मीद है।
धीमी गति से गुजारी गई ट्रेनें
ट्रेनों को धीमी गति से गुजारा गया। पटरी में दरार वाले भाग में क्लैंप आदि लगाकर ट्रेनें नियंत्रित गति से गुजरीं। संगम एक्सप्रेस दस मिनट और नौचंदी पांच मिनट विलंब से हापुड़ पहुंची। शनिवार को संगम एक्सप्रेस प्रयागराज से चलकर सुबह दो घंटा विलंब से सिटी स्टेशन पहुंची।
मिट्टी है रेल पटरी की दुश्मन
रेल पटरी पर बोल्डर पत्थर के टुकड़े बिछाए जाते हैं। इसके पीछे कारण यह होता है कि रेल पटरी को मजबूत सपोर्ट देने के साथ यह पानी को ठहरने नहीं देता। वहीं मिट्टी पानी को सोखती है और गीली होने के कारण लोहे की पटरियों पर जंग लग जाता है। इससे पटरियों का क्षरण होता है। इसीलिए समय-समय पर ट्रैक की गिट्टियों को निकालकर उनसे मिट्टी को हटाया जाता है। जुर्रानपुर फाटक पर लंबे समय से यह कार्य नहीं हो पाया था। इसके चलते शनिवार को जब ट्रैक के नीचे से गिट्टियां हटाई गईं तो दरार नजर आई। इसके बाद रेल की पटरी का टुकड़ा बदलने की तैयारी की गई।