बड़ा प्रोजेक्ट: हस्तिनापुर में बनेगा देश का पहला डाल्फिन ब्रीडिंग सेंटर, बढ़ेगा कुनबा
First Dolphin Breeding Center In Hastinapur मेरठ में देश का पहला ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी है जहां पैदा होने वाली डाल्फिनों को गंगा में छोड़ा जाएगा। मानसून के बाद सितंबर-अक्टूबर में नदी में पानी घटने पर सर्वे शुरू होगा।
(संतोष शुक्ल) मेरठ। गंगा की लहरों पर डाल्फिन की उछलकूद बढ़ाने के लिए वन विभाग ने बड़ा प्रोजेक्ट बनाया है। मेरठ में देश का पहला ब्री¨डग सेंटर बनाने की तैयारी है, जहां पैदा होने वाली डाल्फिनों को गंगा में छोड़ा जाएगा। मानसून के बाद सितंबर-अक्टूबर में नदी में पानी घटने पर सर्वे शुरू होगा। बता दें कि बिहार के भागलपुर में डाल्फिन का रेस्क्यू व संरक्षण केंद्र बना हैं, लेकिन प्रजनन केंद्र नहीं है।
केंद्र सरकार ने 2009 में गंगेटिक डाल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया। यह साफ सुथरे पानी में रहने वाला स्तनपायी जीव है। बिजनौर बैराज से हस्तिनापुर और नरौरा बैराज तक गंगेटिक डाल्फिनों की संख्या बेहतर है। वन्य जीव विशेषज्ञों ने इसे दुर्लभ जीव मानते हुए संरक्षण के लिए आगाह किया है। प्रदूषण और शिकार की वजह से बड़ी संख्या में गंगेटिक डाल्फिनों के वजूद पर खतरा है। वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन एवं वन विभाग की टीम गंगा नदी में पाई जाने वाली स्तनपायी जीव की गणना करती रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक हस्तिनापुर से नरौरा के बीच गंगेटिक डाल्फिन के संरक्षण की बेहतर गुंजाइश है। वन विभाग ने मानसून बाद वाइल्डलाइफ इंस्टीटयूट आफ इंडिया देहरादून से सर्वे कराने की योजना तय की है। टीम नदी के जल की गुणवत्ता, गहराई, तटों का विस्तार एवं अन्य भौगोलिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। फिलहाल, गंगेटिक डाल्फिन गंगा के अलावा सिंधु एवं ब्रह्मपुत्र नदी के कुछ हिस्सों में मिलती है।
इको टूरिज्म को मिलेगा नवजीवन
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हस्तिनापुर में इको टूरिज्म बढ़ाने के लिए डाल्फिन के चित्रों की गैलरी बनाने की योजना थी। लेकिन अब ब्री¨डग सेंटर बनेगा, जिसके लिए सितंबर-अक्टूबर से कई स्तर पर सर्वे होंगे। फिलहाल, हस्तिनापुर में कछुओं के अंडों को संरक्षित कर निकलने वाले बच्चों को नदी में छोड़ा जा रहा है।
दुनियाभर में डाल्फिन की 43 प्रजातियां
डाल्फिन की दुनियाभर में 43 प्रजातियां मिली हैं, जिसमें पांच नदियों में रहती हैं। अन्य खारे पानी में पाई जाती हैं। उम्र करीब 15 साल होती है। यह 20 मिनट तक पानी में रह सकती है, जिसे सांस लेने के लिए बार-बार सतह पर आना पड़ता है।
डीएफओ राजेश कुमार ने कहा: हस्तिनापुर में जैव विविधता बेहतर है। यहां पर गंगेटिक डाल्फिन के ब्री¨डग सेंटर बनाने की योजना है। मकदूमपुर में डाल्फिन अक्सर देखी जाती है। वाइल्डलाइफ फेडरेशन आफ इंडिया, देहरादून की टीम सितंबर-अक्टूबर में गंगा नदी में डाल्फिन पर सर्वे करेगी।