सावधान ज्यादा मोबाइल देखा तो खोल भी नहीं पाओगे आंखें, हो जाएगी यह समस्या
डिजिटल स्क्रीन पर झांकने से आंखों की ग्रंथियां सूख रहीं हैं। 60 फीसद लोगों को सूखेपन का पता ही नहीं है। साथ ही वायु प्रदूषण और सर्दी भी दर्द बढ़ा रही है।
मेरठ, जेएनएन। अगर आप मोबाइल स्क्रीन, टीवी, कंप्यूटर और लैपटाप पर घंटों तक आंखें गड़ाते हैं तो सावधान हो जाइए। आंखों का गीलापन खत्म होने से कार्नियल अल्सर का खतरा है। आंखों का खुलना तक बंद हो सकता है। सर्द मौसम में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज क्लीनिकों में पहुंच रहे हैं, जिनकी आंखों में गीलापन बनाने वाली मोबीमिन ग्लैंड सूख रही है। उधर, विदेशी मशीन से 12 मिनट की सिकाई से आंखों की बंद नलियों को खोला जा रहा है।
बढ़ गई आंखों की समस्या
आंसू गम का ही नहीं, बल्कि आंखों की सेहत का भी संकेतक है। किंतु भागदौड़ भरी जिंदगी, डिजिटल स्क्रीन, खुजली, एलर्जी, प्रदूषण एवं खानपान में पोषक तत्वों की कमी ने आंखों पर कहर ढाना शुरू कर दिया। वायु प्रदूषण से आंख में सूखापन, पुतली में जख्म व काला मोतिया भी बढ़ रहा है। 69 फीसद लोगों को आंखों में सूखेपन के खतरों का पता ही नहीं है। मीबोमिन ग्लैंड सूखने से आंखों में जलन व थकान का लक्षण उभरता है। भारीपन के साथ ही तेज हवा में पुतलियों को ज्यादा दिक्कत होती है। लालिमा के साथ कई बार आंखों से ज्यादा पानी निकलता है।
कोहरे में सावधान
- कोहरा, स्मॉग, प्रदूषण, धुंध, धुआं और कई दवाएं भी आंख का सूखापन बढ़ाती हैं।
- नलियों में प्रेशर कम होने से 50 फीसद लोगों की आंखों में गीलापन कम हुआ है
- हर मिनट कम से कम एक बार आंखों की पलक जरूर झपकानी चाहिए।
ये भी अपनाएं
घर को एलर्जीमुक्त रखें
इन दिनों घर के दरवाजे व खिड़कियां बंद रखें ताकि हवा में मौजूद पुआल व धूलमिट्टी के कण घर में न आने पाएं। कमरे का कारपेट हटा दें क्योंकि इनमें आंखों की एलर्जी बढ़ाने वाले धूल जाम हो सकती है। कंबल व बिस्तर आदि साफ रखें।
फफूंदी पर नियंत्रण रखें
फफू्ंदी एक फंगस है जो अक्सर घर के भीतर उमस और सीलन से होती है। इससे त्वचा और आंखों में कई तरह की एलर्जी हो सकती है।
रूखेपन के लिए आईड्रॉप प्रयोग करें
आंखों में नमी बरकरार रखने के लिए डॉक्टर की सलाह से आईड्रॉप का इस्तेमाल करें।
धुएं से बचाव करें
ठंड में अक्सर लोग घर में ही धूम्रपान करते हैं। सिगरेट का धुआं आंखों को परेशान कर सकता है और एलर्जी बढ़ा सकता है। ऐसे में घर को सख्ती से स्मोक फ्री जोन में बदलें।
सफाई और देखभाल
गंदे हाथों से आंखों को न छुएं। अपने हाथों को बराबर धोएं। तौलिया, रूमाल व आंखों के कॉस्मेटिेक आदि शेयर करने से बचें।
चश्मा लगाएं
विशेषज्ञ बताते हैं कि बादल वाले दिन में भी सूरज की 80 प्रतिशत अल्ट्रावायलेट किरणें हम तक पहुंचती हैं। ऐसे में आंखों की सुरक्षा के लिए आई सन प्रोटैक्शन फैक्टर यानि ईएसपीएफ वाले चश्में लगाएं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कंप्यूटर, मोबाइल, एसी, प्रदूषण, धूल व सर्द मौसम में आंखों में सूखापन बढ़ा है। यूएसए की मशीन से 12 मिनट तक थर्मोपल्सेशन से आंशिक रूप से बंद ग्रंथियां खुल जाती हैं। पानी खूब पिएं। आंखों को धोएं भी।
- डा. अमित गर्ग, नेत्र रोग विशेषज्ञ।