Kisan Andolan: फिर आंदोलन की धार देने में जुटी भाकियू, गाजीपुर बार्डर जाने लगे किसान
Agricultural law Protest कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन को छह माह पूरे होने के बाद अब फिर किसान आंदोलन को धार देने में भाकियू नेता जुट गए हैं। फिर गाजीपुर बार्डर जाने लगे किसान। तीन कृषि कानून रद कराने की मांग।
बागपत, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन को छह माह पूरे होने के बाद अब फिर किसान आंदोलन को धार देने में भाकियू नेता जुट गए हैं। भाकियू जिलाध्यक्ष चौ. प्रताप सिंह गुर्जर ने कहा कि भाकियू हाईकमान से हमें अभी कोई नया दिशा-निर्देश नहीं मिला है, लेकिन इतना तय है कि बागपत से किसानों का गाजीपुर बार्डर जाना जारी रहेगा।
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में बागपत के किसान शुरूआत से जुड़े रहे हैं। बड़ौत में तो किसानों ने महीनों तक धरना दिया था। हालांकि पंचायत चुनाव तथा गेहूं की फसल कटाई के दौरान बागपत के किसानों का गाजीपुर तथा सिंघु बार्डर जाना लगभग बंद सा हो गया था।गत दिवस काला दिवस मनाने से किसानों में आंदोलन को लेकर ऊर्जा का संचार हुआ है। रालोद भी अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के इरादे से किसान आंदोलन को हवा देने में कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है।
इसका फायदा उठाने को भाकियूनेताओं ने आंदोलन को धार देने को सक्रियता बढ़ा दी है। इसलिए किसान आंदोलन फिर जोर पकड़ सकता है। बुधवार के बाद गुरुवार को भी बागपत के किसानों का गाजीपुर बार्डर जाकर आंदोलन में शामिल होना तथा खाप चौधरियों को कालादिवस में भाग लेकर कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है।भाकियू जिलाध्यक्ष चौ. प्रताप सिंह गुर्जर कहते हैं कि जब तक तीनों कृषि कानून रद कर सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून का दर्जा नहीं देती, तब तक आंदोलन खत्म होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अभी हमें भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत तथा प्रवक्ता राकेश टिकैत का कोई नया दिशा निर्देश नहीं मिला, लेकिन बागपत के किसानों का गाजीपुर बार्डरजाना जारी रहेगा।