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बीस करोड़ का लोन लेकर किसानों को बकाया गन्‍ना मूल्‍य का भुगतान करेगी बागपत शुगर मिल

सहकारी चीनी मिल बागपत से भुगतान नहीं मिलने से हजारों किसान आर्थिक संकट में हैं। मिल बागपत ने किसानों को बकाया गन्ना भुगतान करने के लिए उप्र सहकारी बैंक मेरठ में 20 करोड़ रुपये का टर्म लोन लेने को आवेदन किया।

By Parveen VashishtaEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 07:40 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 07:40 PM (IST)
बीस करोड़ का लोन लेकर किसानों को बकाया गन्‍ना मूल्‍य का भुगतान करेगी बागपत शुगर मिल
बीस करोड़ का लोन लेकर किसानों को भुगतान करेगी बागपत शुगर मिल

बागपत, जागरण संवाददाता। यह उन हजारों किसानों के लिए अच्छी खबर हैैं, जिनका सहकारी चीनी मिल बागपत पर पिछली साल का गन्ना भुगतान बकाया है। अब चीनी मिल 20 करोड़ रुपये का लोन लेकर भुगतान कर देगी।

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किसानों का 24.64 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया

सहकारी चीनी मिल बागपत पर पिछले वर्ष का 24.64 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। भुगतान नहीं मिलने से हजारों किसान आर्थिक संकट में हैं। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, गन्ना आयुक्त संजय आर भूस रेड्डी के बकाया गन्ना भुगतान को लेकर सख्ती का असर हुआ है। सहकारी चीनी मिल बागपत ने किसानों को बकाया गन्ना भुगतान करने के लिए उप्र सहकारी बैंक मेरठ में 20 करोड़ रुपये का टर्म लोन लेने को आवेदन किया। मिल जीएम आरके जैन ने बताया कि लोन स्वीकृत हो गया है। 14 दिसंबर को लोन का पैसा मिलेगा। वहीं 4.64 करोड़ रुपये की चीनी बेची जाएगी, जिससे 15 दिसंबर को शत प्रतिशत बकाया गन्ना भुगतान कर देंगे। इसके बाद नये पेराई सत्र में खरीदे गए गन्ने का भुगतान शुरू करेंगे। जिला गन्ना अधिकारी डा. अनिल कुमार भारती ने बताया कि रमाला मिल से भी हम पिछली साल का 16 करोड़ रुपये बकाया गन्ना भुगतान एक दो सप्ताह में कराएंगे।

किसानों ने बार्डर छोड़ना बताया सराहनीय कदम

बागपत, जागरण संवाददता। कृषि कानून वापसी के साथ आंदोलनरत किसानों की अन्य मांग को मानने पर क्षेत्रीय किसानों ने सरकारी के साथ सिघु बार्डर से किसानों के डेरा हटने को सराहनीय कदम बताया है। किसान उमेश धामा कहना था कि जनहित में सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस लिया है। इसके अलावा किसानों की अन्य मांगों को भी मान लिया। सरकार का फैसला ऐतिहासिक है, जो किसानों को भरपूर फायदा देगा। किसान प्रमोद का कहना है कि जब सरकार ने किसानों की मांगों को मान लिया तो अब आंदोलनरत किसानों का फर्ज भी बनता था कि वे सभी बार्डर से हट जाए। किसानों ने भी शांति का परिचय देकर सरकार का सम्मान रखा है। किसान नीरज धामा का कहना है कि अगर सरकार पहले ही किसानों की बात मान लेती तो शायद एक साल से ज्यादा आंदोलन नहीं चलता। किसानहित में सरकार का फैसला अच्छा है। किसानों ने भी सरकार की बात को मानकर बार्डर से धरना समाप्त किया है।


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