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नन्हीं बच्ची को कार में लॉक कर शॉपिंग करने चले गए माता-पिता, ऐसे बची जान

मेरठ के सेंट्रल मार्केट में धनतेरस की रात मां-बाप की लापरवाही बच्ची पर भारी पड़ गई। माता-पिता लॉक कार में बच्ची को सोता छोड़कर चले गए।

By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 01:05 PM (IST)
नन्हीं बच्ची को कार में लॉक कर शॉपिंग करने चले गए माता-पिता, ऐसे बची जान
नन्हीं बच्ची को कार में लॉक कर शॉपिंग करने चले गए माता-पिता, ऐसे बची जान
मेरठ, जेएनएन। शहर के व्यस्तम सेंट्रल मार्केट में धनतेरस की रात मां-बाप की घोर लापरवाही से मासूम की जान पर बन आई। आठ महीने की बच्ची को लॉक कार में सोता छोड़कर माता-पिता शॉपिंग करने चले गए। बच्ची का दम घुटना शुरू हुआ तो वो रोने लगी। लोगों की नजर कार पर पड़ी तो हड़कंप मच गया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद कार के शीशे तोड़कर बच्ची को बाहर निकाला गया। दो घंटे बाद लौटे दंपती को लोगों ने खूब खरी-खोटी सुनाई। एसपी सिटी ने माफी मांगने पर दंपती को चेतावनी देकर जाने दिया।
पसीने से तरबतर हो गई बच्ची
मामला नौचंदी थाना क्षेत्र के सेंट्रल मार्केट का है। सोमवार रात करीब दस बजे नौचंदी क्षेत्र का रहने वाला दंपती मार्केट में शॉपिंग करने आया था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उन्‍होंने मार्केट के बाहर कार खड़ी की और बच्‍ची को कार में सोता छोड़कर शॉपिंग करने चले गए। कुछ देर बाद पसीने से तरबतर बच्ची बिलख उठी। उसका दम घुटने लगा तो वह शीशे पर हाथ मारने लगी।

परिवार की नजर कार पर पड़ी
इस दौरान वहां से गुजर रहे एक परिवार की नजर उस पर पड़ी तो उन्होंने इसकी सूचना वहां तैनात पुलिसकर्मियों को दी, लेकिन कोई मदद नहीं की गई। इसके बाद इस परिवार ने लोगों से मदद मांगी। लोगों सरिये से कार का लॉक खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं खुला। करीब डेढ़ घंटे तक बच्ची को बाहर निकालने की जद्दोजहद चलती रही। बच्ची के माता-पिता की खोजबीन के लिए एनाउंसमेंट भी कराया गया लेकिन, कुछ पता नहीं चला।
कार का शीशा तोड़ा
नौचंदी क्षेत्र की रहने वाली डॉ. प्रीति ने बताया कि कुछ युवकों ने कार का शीशा तोड़ा और बच्ची बाहर निकाला गई। उस समय बच्ची बदहवास थी। यदि जरा भी देर हो जाती तो उसका दम घुट सकता था। करीब दो घंटे बाद उसके माता-पिता वहां पहुंचे तो लोगों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई और नसीहत दी। एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर बच्ची के माता-पिता को समझाया गया। उन्हें चेतावनी दी गई कि अगर बच्ची को कुछ हो जाता तो उन पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता था। माफी मांगने पर उन्हें जाने दिया गया।

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