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Coronavirus: कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बना आयुर्वेदिक काढ़ा, सरकार मान गई पर मेडिकल कॉलेज नहीं

चीन समेत कई देशों में पेड़-पौधों के औषधीय तत्वों पर तेजी से शोध हो रहे हैं। भारत में आयुर्वेद के खजाने से दर्जनों जड़ी-बूटियां बाहर आ गई हैं। कोरोना वायरस की कोई दवा नहीं है।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 10:05 AM (IST)
Coronavirus: कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बना आयुर्वेदिक काढ़ा, सरकार मान गई पर मेडिकल कॉलेज नहीं
Coronavirus: कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बना आयुर्वेदिक काढ़ा, सरकार मान गई पर मेडिकल कॉलेज नहीं

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। वैक्सीन और एंटी वायरल ड्रग के इंतजार में भटकती दुनिया के सामने आयुर्वेदिक काढ़ा संजीवनी बनता नजर आ रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकार ने काढ़े से कोविड के इलाज को मंजूरी दे दी, वहीं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज अब काढ़ों का पैकेट बनाने की तैयारी में हैं, किंतु मेडिकल कॉलेज इस पर अमल करने पर निर्णय नहीं ले पा रहा। 

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काढ़े के पैकेट

केजीएमयू से आए डा. सूर्यकांत त्रिपाठी ने पतंजलि संस्थान के आचार्य बालकृष्ण से बात कर मेडिकल प्रशासन से मरीजों को काढ़ा देने के लिए कहा था। वहीं महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज पांचली खुर्द के अलावा मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों के लिए काढ़े के पैकेट बना रहा है। आर्थोपेडिक सर्जन ने निजी अस्पताल में क्‍वारंटाइन हुए 40 लोगों की इम्यूनिटी के लिए काढ़ा दिया।

गिलोय व अश्वगंधा हैं अकाट्य

चीन समेत कई देशों में पेड़-पौधों के औषधीय तत्वों पर तेजी से शोध हो रहे हैं। भारत में आयुर्वेद के खजाने से दर्जनों जड़ी-बूटियां बाहर आ गई हैं। कोरोना वायरस की कोई दवा नहीं है। ऐसे में सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ही बीमारी से मुकाबला किया जा सकता है। पतंजलि आयुर्वेदिक संस्थान ने काढ़ा बनाने के साथ ही अश्वगंधा एवं गुडूची समेत कई औषधियों में वायरस रोकने की क्षमता पर शोध किया है। गत दिनों पतंजलि ने मेडिकल कॉलेज के क्वारंटीन में गए स्टाफ के लिए काढ़ा भेजा। महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के आचार्य डा. देवदत्त भादलीकर विषाणुरोधी दर्जनों आयुर्वेदिक औषधियों पर शोध कर चुके हैं। वो बताते हैं कि हल्दी, लहसुन, अजवायन, दालचीनी, अदरक, तुलसी में भी गजब की प्रतिरोधक क्षमता है।

ये है प्रदेश सरकार का काढ़ा

तुलसी- चार मात्रा

सोंठ- दो मात्रा

दालचीनी- दो मात्रा

कालीमिर्च- एक मात्रा

बनाने की विधि

तीन से पांच ग्राम चूर्ण को दो कप पानी में धीमी आंच पर एक कप शेष रहने तक उबालें। आधा कप काढ़ा गुनगुना दिन में दो बार पीएं। स्वाद के लिए गुड़ या नींबू मिला सकेंगे।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

तुलसी, गिलोय एवं अश्वगंधा का सेवन बेहद कारगर है। कोरोना मरीजों पर मेडिकल ट्रायल के लिए दो विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव मिले हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक भी देने की पेशकश की है। आयुर्वेदिक दवाओं के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है।

- डा. टीवीएस आर्य, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग

आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा, गुड़ूची, मुलेठी, पीपली और आयुष 64 को मंजूरी दी है। तुलसी, दालचीनी, सोंठ, मुनक्का, काली मिर्च और दूध में हल्दी मिलाकर लें तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। लौंग का पावडर मधु के साथ दिन में दो बार लें। गिलोय एक एंटी आक्सीडेंट और एंटी वायरल है। हम लोग काढ़ा भी बना रहे हैं, जिसे क्वारंटाइन में रखे लोगों से लेकर मरीजों तक को दिया जा सकता है।

- डा. मेघा सरोहा, असिस्टेंट प्रोफेसर, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज 


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