Ayodhya Verdict : अयोध्या में अंग्रेजों ने खोदी थी खाई, जो अब जाकर भरी Meerut News
इतिहासकार डा. केडी शर्मा का मानना है कि अयोध्या का मामला 1857 में ही सुलझ गया होता। अगर अंग्रेजों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच में खाई नहीं खोदी थी।
मेरठ, [विवेक राव]। Ayodhya Verdict अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूरे प्रदेश और देश में जिस तरह से लोगों ने शांति और सौहार्द का परिचय दिया है। यही भारतीय संस्कृति की असली पहचान है। इसकी नींव बहुत पहले से ही पड़ी हुई है। अयोध्या का मामला 1857 में ही सुलझ गया होता। अगर अंग्रेजों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच में खाई नहीं खोदी थी। नौ नवंबर को यह खाई भरी गई है। इतिहासकार प्रो. केडी शर्मा ने बताया कि इसका साक्ष्य गजेटियर आफ इंडिया में आज भी मौजूद है।
तब दान में देने की सोची थी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर काफी विस्तृत अध्ययन और शोध करने वाले इतिहासकार डा. केडी शर्मा का कहना है कि 1857 में ही फैजाबाद के मुसलमानों ने मान लिया था कि अयोध्या में रामजन्म स्थान हिंदुओं का है और उन्हें पूरी तरह से इसे दे देना चाहिए। दरअसल, 1857 की क्रांति से पहले हर भारतीय ब्रिटिश राज के खिलाफ था। फैजाबाद में 26 जून 1857 को बादशाही मस्जिद में मुसलमानों की एक बड़ी सभा बुलाई गई थी। सभा का आयोजन अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दामाद मिर्जा इलाही बख्श ने किया था। जो अंग्रेजों के पक्ष में भारतीयों को किसी भी आंदोलन से दूर करने के लिए आया था। उस सभा में मिर्जा की बात के खिलाफ अच्छन खां खड़े हुए थे। अच्छन खां का 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
एक भाषण पर राजी हो गए थे फैजाबाद के मुसलमान
डा. केडी शर्मा बताते हैं कि फैजाबाद की सभा में अच्छन खां और बाबा राम शरण दास के करीबी अमीर अली के भाषण का व्यापक असर हुआ था। मुसलमानों ने मानना था कि मुगल शासक बहादुर शाह को फिर से सत्ता दिलाने के लिए जिस तरह से हिंदू लड़ रहे हैं, उसमें हमें भी सहयोग करना चाहिए। अमीर अली ने कहा था कि -बहादुर हिंदू हमारी सल्तनत को हिंद में मजबूत करने के लिए लड़ रहे हैं। इनके दिल पर काबू पाने और इनके अहसानों का बोझ अपने सर से उतार देने के लिए हमारा फर्ज है कि अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि हिंदुओं को वापस दें। इससे हिंदु और मुस्लिम एकता की जड़ इतनी मजबूत हो जाएगी कि जिसे अंग्रेज के पूर्वज भी नहीं उखाड़ सकेंगे। फैजाबाद में अमीर अली के भाषण का व्यापक असर मुसलमानों पर पड़ा था। यह खबर अंग्रेजों को हुई तो उनके होश उड़ गए थे। अंग्रेजों ने कूटनीति चाल चलकर अमीर अली और रामशरण दास को फांसी पर लटका दिया था। साथ ही अंग्रेजों ने ही अयोध्या को हिंदु और मुस्लिम के बीच दूरी बढ़ाने वाला एक मुद्दा बना दिया। इतने सालों के बाद अब यह खाई भरी और दूरी कम हुई है।