विदेश में नौकरी के नाम पर ठगी का प्रयास
लोगों को ठगने के लिए शातिर नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के प्रयास का मामला सामने आया है।
मेरठ, जेएनएन। लोगों को ठगने के लिए शातिर नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के प्रयास का मामला सामने आया है। मामले की जांच साइबर सेल कर रही है। कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के सुभाषपुरी निवासी विकास ने बताया कि उनके पास गत 21 दिसंबर को एक मेल आया था। उसमें सेंट्रिएंट्स फार्मास्यूटिकल नीदरलैंड से जाब आफर आया था। साथ में एप्लीकेशन, कांट्रेक्ट बांड और कुछ सवाल भी थे। उन्होंने सभी औपचारिकता पूरी कर मेल 26 दिसंबर को भेज दी। इसके बाद पांच जनवरी को मेल आया और जबाव मिलने की जानकारी दी। 10 दिन बाद फिर मेल आया और सलेक्शन के बारे में बताया। साथ ही नीदरलैंड एंबेसी के कांटेक्टर पर्सन के बारे में भी बताया। 17 जनवरी को फिर से मेल आया और कुछ कागजात मांगे। इसके बाद उनको शक हुआ तो मामले की जानकारी करने पर फर्जीवाड़े का पता चला। विकास ने बताया कि नौकरी के नाम पर ठगी हो सकती थी। उन्होंने एसएसपी कार्यालय में शिकायत की। एसपी क्राइम राम अर्ज ने साइबर सेल को मामले की जांच सौंप दी है।
मोबाइल लुटेरे को दबोचा
टीपीनगर थाना क्षेत्र के मलियाना निवासी दीपिका और पड़ोसी महिलाओं के साथ गली में टहल रहीं थीं। तभी बाइक सवार दो युवक आए और दीपिका का मोबाइल लूटकर भागने लगे। शोर सुनकर आसपास के लोग दौड़े तो उन्होंने एक बदमाश को दबोच लिया। उसकी जमकर धुनाई की। सूचना पर पुलिस भी पहुंच गई थी। आरोपित का नाम इमरान निवासी साठ फुटा रोड लिसाड़ी गेट है। पीड़ित ने तहरीर दे दी है। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपित के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। उसके फरार साथी की तलाश की जा रही है।
दिल्ली की घटना के बाद किसान संगठनों में फूट
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की घटना के बाद किसान संगठनों में फूट पड़ गई है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से जुड़े और सरदार वीएम सिंह के साथ कृषि कानून विरोधी आंदोलन में रहे मेरठ के कुलदीप त्यागी गणतंत्र दिवस की घटना के बाद दिल्ली से लौटकर घर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना से दुनिया के सामने किरकिरी हुई तो वहीं, कृषि आंदोलन से जुड़े किसान भी अपने आप को ठगा-सा महसूस करने लगे। वहीं, भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के पश्चिमी उप्र के अध्यक्ष राजीव अधाना ने बताया कि उनके संगठन ने कृषि कानूनों के विरोध में कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में सहभागिता निभाई। लेकिन देश की अखंडता के साथ किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जा सकता।