इन 32 प्रकार की औषधीय पौधों की खेती से लाखों कमा रहे मेरठ के अशोक चौहान, इस तरह की शुरूआत
मेरठ में औषधीय पौधों की खेती से किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं। दौराला के मटौर गांव निवासी किसान अशोक चौहान उप्र और उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों पर करीब 300 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।
मेरठ, [विनय विश्वकर्मा]। कोरोना काल में हर्बल दवाइयों की मांग तेजी से बढ़ी है। मेरठ में औषधीय पौधों की खेती से किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं। दौराला के मटौर गांव निवासी किसान अशोक चौहान उप्र और उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों पर करीब 300 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं। विदेश तक से लोग उनकी विशेष खेती को देखने गांव में आते हैं। औषधीय पौधों की खेती से अशोक लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं तो साथ ही साथ कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। भारती हर्बल ने उनके कार्यों पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है।
वैद्य का काम करते थे दादा
अशोक चौहान बताते हैं कि उनके दादा वैद्य का काम करते थे। इसी को देखते हुए उनके मन में औषधीय पौधों की खेती में रूचि हुई। उन्होंने पांच बीघे में हल्दी और तुलसी की खेती से शुरूआत की। उनके जीवन में एक वक्त ऐसा आया, जिसमें उन्हें अपने घर का सामान गिरवी रखना पड़ा। लेकिन काम ने रफ्तार पकड़ी और आज दो राज्यों में शानदार खेती कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। वह किसानों को निश्शुल्क औषधीय पौधों की खेती के बारे में जागरूक करते हैं।
इन औषधीय पौधों की खेती करते हैं अशोक
अशोक चौहान ने मोरिंगा, अश्वगंधा, अकरकरा, हल्दी, पिपली, ब्रहमी, स्टीविया, सतावर, कालमेघा, गोरखमुंडी, लेमनग्रांस, कौंच व विष्णुकांता आदि 32 प्रकार के औषधीय पौधों की खेती की हुई है। वह देश की कई नामी गिरामी कंपनियों में औषधीय पौधों की आपूर्ति करते हैं। वह कांट्रेक्ट फार्मिंग भी करते हैं।
इनका कहना है -
किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती बेहद लाभदायी साबित हो रही है। छोटी खेती के किसानों के लिए यह एक अामदनी का अच्छा विकल्प है। दवा बनाने वाली कई बड़ी कंपनियां मेरठ जिले के किसानों से औषधि खरीदती हैं। उद्यान विभाग समय-समय पर औषधीय खेती की जानकारी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यशाला आयोजित करता रहता है। इस कार्यशाला में दवा बनाने वाली कई कंपनियों को भी बुलाया जाता है। जो औषधि उत्पादक किसानों से सीधे बात करते हैं।
- रामवीर सिंह राठौर, जिला उद्यान अधिकारी, मेरठ