इंजेक्शन लगते ही नीचे गिरा घोड़ा और मौत की नींद सो गया
हस्तिनापुर क्षेत्र के गणेशपुर गांव में एक घोड़े में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के
मेरठ,जेएनएन। हस्तिनापुर क्षेत्र के गणेशपुर गांव में एक घोड़े में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद मंगलवार को उक्त घोड़े को जहर देकर मार दिया गया। इसके बाद घोड़े को दफना दिया गया। इस दौरान पशु चिकित्सकों की टीम ने बाकायदा पीपीई किट पहनकर घोड़े को इंजेक्शन से दर्द रहित मौत दी।
बीते माह पशु चिकित्सकों द्वारा गणेशपुर गांव में घोड़े के सीरम सैंपल लिए गए थे। जिसमें एक घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिले। ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि करने के लिए घोड़े का सीरम सैंपल राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र हिसार भेजा गया था। जिसकी रिपोर्ट शनिवार की सांय को आ गई थी। घोड़े में इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद नियमानुसार उच्चाधिकारियों ने घोड़े को जहर देकर मारने का आदेश दिया। चिकित्सकों की टीम ने पीपीई किट पहनने के बाद घोड़े को गड्ढे के पास ले जाकर उसे जहर का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगते ही घोड़ा बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा और कुछ ही मिनट में उसकी सांसें थम गईं। चिकित्सकों की टीम ने उसकी मौत होने की पुष्टि की, जिसके बाद उसे दफना दिया गया। मृत घोड़े से रोग के जीवाणु कहीं फैल न सकें, इसके लिए गड्ढे में चूना, नमक व अन्य केमिकल आदि भी डाला गया। चिकित्सकों ने जो सुरक्षा किट पहनी हुई थी वह भी घोड़े के साथ ही दफन कर दी। पशु चिकित्सकों की टीम में डा. राकेश कुमार, इंद्रजीत सिंह, विजय कर्णवाल, नत्थन व घोड़ा मालिक का परिवार रहा। लाइलाज है ग्लैंडर्स बीमारी
पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राकेश कुमार ने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है। ग्लैंडर्स रोग घोड़ों से मनुष्य में भी फैल सकता है। अगर यह बीमारी मनुष्य में भी हो जाए तब भी इसका उपचार नहीं है। इसलिए बीमारी होने पर घोड़े को मारना ही पड़ता है।