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Indian Army: भारतीय सेना की आर्टिलरी अब 'धनुष' और 'वज्र' से करेगी प्रहार

बोफोर्स के बाद पहली बार भारतीय सेना अपनी आर्टिलरी रेजिमेंट को अति आधुनिक स्वदेशी तकनीकी से सुसज्जित के-9 वज्र धनुष और एम777 होवित्जर गनों से सुसज्जित कर रही है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 02:00 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 02:00 PM (IST)
Indian Army: भारतीय सेना की आर्टिलरी अब 'धनुष' और 'वज्र' से करेगी प्रहार
Indian Army: भारतीय सेना की आर्टिलरी अब 'धनुष' और 'वज्र' से करेगी प्रहार

मेरठ [अमित तिवारी]। युद्ध के मैदान में आर्टिलरी को 'गॉड ऑफ वॉर' कहा जाता है। जिस सेना की आर्टिलरी मजबूत होती है, रणभूमि में उसी की जीत का डंका भी बजता है। इस महत्व को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना की आर्टिलरी का भी अब आधुनिकीकरण किया जा रहा है। बोफोर्स के बाद पहली बार भारतीय सेना अपनी आर्टिलरी रेजिमेंट को अति आधुनिक स्वदेशी तकनीकी से सुसज्जित के-9 वज्र, धनुष और एम777 होवित्जर गनों से सुसज्जित कर रही है। 2019 में शुरू हुई आर्टिलरी के आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया साल 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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13 सेकेंड में तीन फायर करेगा 'देशी बोफोर्स' धनुष

जबलपुर के गन फैक्ट्री में बनी धनुष 155 एमएम 45 कैलीबर की आधुनिक आर्टिलरी गन है। इसे देशी बोफोर्स भी कहा जाता है। इसमें 81 फीसद उपकरण देशी हैं जिसे और बढ़ाने की योजना है। इसकी मारक क्षमता 38 किमी है। यह 13 सेकेंड में तीन गोले दाग सकती है। अन्य आर्टिलरी गनों की तुलना में यह हल्की है और इस पर गर्मी व सर्दी का असर नहीं होता। पूरी तरह से ऑटोमेटिक इस तोप को पहाड़ी क्षेत्र व रेगिस्तानी क्षेत्र दोनों जगहों पर आसानी से ले जा सकते हैं और इस्तेमाल भी कर सकते हैं। देश की सीमा से ही दुश्मन के इलाके में टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम हैं। आर्टिलरी को 114 धनुष तोपें मिलेंगी जिसमें छह मिल चुकी हैं।

पड़ेगा वज्र सा प्रहार

दक्षिण कोरिया में बनी सौ के-9 वज्र गनें आर्टिलरी के बेड़े में शामिल होंगी। इसकी मारक क्षमता भी 28 से 38 किमी तक है। यह गन रेगिस्तानी क्षेत्र के लिए बेहतरीन है। यह तीन तरह से फायर करती है। बस्र्ट मोड में 30 सेकेंड में तीन राउंड फायर होगा। इंटेंस मोड में तीन मिनट में 15 राउंड फायर होगा। वहीं सस्टेंड मोड में एक घंटे में 60 राउंड फायर करती है। सौ गनों में 90 को देश में ही भारतीय कंपनी के साथ मिलकर असेंबल किया जाएगा। वर्ष 2020 में ही सभी गनें आर्टिलरी को मिल जाएंगी। दक्षिण कोरियाई सेना भी इस गन का इस्तेमाल करती है।

पहाड़ों से गरजेंगी एम777 तोपें

ब्रिटेन में बनी एम777 गनें मैदानी और रेगिस्तानी के अलावा पहाड़ी क्षेत्र के लिए अच्छी है। कुल 45 एम777 गनें सेना की आर्टिलरी को मिलेंगी। इनका ट्रायल दो साल से पोखरण में चल रहा था जो अब फाइनल हो चुका है। 25 गनें ब्रिटेन से आएंगी और 120 गनों को भारत में ही बनाया जाएगा। के-9 वज्र की ही तरह एम777 गनें भी 155 एमएम की हैं। यह गन इराक और अफगानिस्तान युद्ध में इस्तेमाल हो चुकी है। 


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