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मेरठ आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज की बड़ी उपलब्धि, कोरोना को सूंघ कर पहचानने लगे हैं सेना के ये प्रशिक्षित श्वान

आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर ने मानव शरीर में कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते तैयार किए हैं। रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज) मेरठ को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।

By Edited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:31 AM (IST)
मेरठ आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज की बड़ी उपलब्धि, कोरोना को सूंघ कर पहचानने लगे हैं सेना के ये प्रशिक्षित श्वान
आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर में कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते तैयार।

मेरठ, [अमित त‍िवारी]। रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज) को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर ने मानव शरीर में कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते तैयार किए हैं। रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज), मेरठ को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर ने मानव शरीर में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते तैयार किए हैं। फिलहाल पसीना और मूत्र इत्यादि के सैंपल सूंघकर शरीर में मौजूद वायरस का पता लगाने और संकेत देने में यह सक्षम हो गए हैं। प्राप्त सैंपल में वायरस की पहचान करने में उन्हें कुछ पल ही लगते हैं।

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डेढ़ माह के प्रशिक्षण का परिणाम

मेरठ छावनी में प्रशिक्षण के बाद तीन प्रशिक्षित कुत्तों को इसी महीने दिल्ली छावनी में ट्रायल के लिए तैनात किया गया है। करीब ड़ेढ़ महीने की ट्रेनिंग के बाद उपलब्ध परिणाम ने सेना को उत्साहित कर दिया है। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद छावनी स्थित सैन्य अस्पताल में आए संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए गए। इनमें से जिन्हें प्रशिक्षित कुत्तों द्वारा चिन्हित किया गया, उन सैंपल की मेडिकल रिपोर्ट भी पॉजीटिव यानी कोरोना संक्रमण की पुष्टि करने वाली पाई गई। इस तरह करीब 99 फीसद रिजल्ट में इन श्वानों की पहचान बिल्कुल सटीक निकली। मेरठ छावनी में सफल परीक्षण के बाद तीन प्रजातियों के तीन कुत्तों को दिल्ली छावनी में ट्रायल के लिए तैनात किया गया है। वहा फिलहाल सैनिकों में कोविड-19 की जाच की जा रही है।

30 करोड़ तरह की गंधों को सूंघने में सक्षम

आरवीसी में प्रशिक्षित तीन श्वानों में लेब्राडोर, कॉकर स्पेनियल और दक्षिण भारतीय प्रजाति चिप्पिपराई का एक-एक श्वान है। मनुष्य की नाक में जहांं 60 लाख प्रकार की गंधों को सूंघने वाली विशिष्ट ग्रंथिया होती हैं, वहीं श्वानों की नाक 30 करोड़ तरह की गंधों को सूंघने में सक्षम है। श्वानों का दिमाग उन सभी गंधों को याद रखने में भी सक्षम है। कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति के शरीर से भी विशेष तरह का रसायन निकलता है, जिसकी गंध को प्रशिक्षित श्वान पहचान लेते हैं। इन श्वानों को इसी रसायन की गंध को सूंघने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सैंपल में उस वायरस की गंध मिलते ही यह श्वान वहीं बैठकर और भौंककर हैंडलर या प्रशिक्षक को स्पष्ट संकेत दे देते हैं। आरवीएस सूत्रों के अनुसार, प्राथमिक तौर पर प्रशिक्षित तीन कोविड-19 डिटेक्टर श्वानों को लेकर ट्रायल चल रहा है। ट्रायल में रिजल्ट बेहद सटीक हैं। कुछ और ट्रायल के बाद ही इन्हें अस्पताल सहित अन्य जगहों पर फील्ड डिटेक्शन के लिए ले जाया जाएगा। इसके बाद ही आधिकारिक तौर पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। बता दें कि फ्रास में भी इस तरह का प्रयोग हुआ है। श्वानों को कोविड-19 वायरस सूंघने के लिए प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के बाद सितंबर के अंतिम सप्ताह में फिनलैंड एयरपोर्ट पर उनकी तैनाती हुई। बाहर से आने वालों से सैंपल लेकर टेस्ट करने पर रिजल्ट सटीक निकले। श्वानों के जरिए कोरोना वायरस का पता लगाने की प्रक्रिया को जाच के प्रचलित तरीकों आरटीपीसीआर व एंटीजन टेस्ट इत्यादि से भी आसान माना जा रहा है।


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