Corona Vaccine लगाते ही शरीर में कई गुना बढ़ गई एंटीबाडी, एक डाक्टर में एंटीबाडी का स्तर 100 तक मिला
कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले डाक्टरों में कौतूहल था कि एंटीबाडी बनी कि नहीं? अगर बनी तो क्या यह संक्रमण रोकने में कारगर है। टीकाकरण शुरू हुए 70 दिन हो गए हैं और इस बीच कई डाक्टरों ने वायरस के खिलाफ एंटीबाडी टाइटर की जांच कराई तो बेहतर परिणाम मिला।
[संतोष शुक्ल] मेरठ। कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले डाक्टरों में कौतूहल था कि एंटीबाडी बनी कि नहीं? अगर बनी तो क्या यह संक्रमण रोकने में कारगर है। टीकाकरण शुरू हुए 70 दिन हो गए हैं और इस बीच कई डाक्टरों ने वायरस के खिलाफ एंटीबाडी टाइटर की जांच कराई तो बेहतर परिणाम मिला। कुछ डाक्टरों में आइजीजी-इम्युनोग्लोबलिन-जी और आइजीएम-इम्युनोग्लोबलिन-एम का स्तर 20 से ज्यादा मिला। एक डाक्टर में एंटीबाडी का स्तर 100 तक मिला।
सालभर का सुरक्षा कवच : कोरोना टीकाकरण देशभर में 16 जनवरी से शुरू किया गया। उसके बाद से अब तक 25 हजार से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है। पहले चरण में वैक्सीन लेने वालों में सिर्फ डाक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ थे। उन्हें दूसरी डोज 28 वें दिन यानी फरवरी माह के अंदर ही लगा दी गई। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन और सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने पहले दिन टीका लगवाया था। दूसरा डोज लेने से पहले सीएमओ के शरीर में टाइटर की मात्र पांच व सर्विलांस अधिकारी में 17 मिली। डाक्टरों का कहना है कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडी को सबसे कारगर माना जाता है।
डाक्टर दंपती ने कराई जांच
सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीएन त्यागी ने दूसरा डोज लेने के एक सप्ताह बाद जांच कराई तो टाइटर की मात्र 22 मिली, जबकि उनकी पत्नी व आइएमएस सचिव डा. मनीषा त्यागी में 18.2 की मात्र में एंटीबाडी मिली। इसी तरह नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमित गर्ग के शरीर में कोविड एंटीबाडी यानी आइजीजी 14.70, जबकि उनकी पत्नी व पैथलोजिस्ट डा. मोनिका गर्ग में इसका स्तर सात मिला।