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Delhi Meerut Rapid Rail में गजब की तकनीक... पहले ही आगाह कर देगी खतरा, जानें- विशेषताएं

रैपिड रेल देश की पहली ऐसी परियोजना है जिसमें तकनीक के मामले में डिजिटल क्रांति होने जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ऐसी अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है जिसमें खतरा होने पर पहले ही पता चल जाएगा।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 11:02 AM (IST)
Delhi Meerut Rapid Rail में गजब की तकनीक... पहले ही आगाह कर देगी खतरा, जानें- विशेषताएं
रैपिड रेल में पहली बार प्रयोग हो रही यह गजब की तकनीक।

जागरण संवाददाता, मेरठ। Delhi Meerut RRTS Corridor रैपिड रेल देश की पहली ऐसी परियोजना है, जिसमें तकनीक के मामले में डिजिटल क्रांति होने जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ऐसी अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है, जिससे गुणवत्तायुक्त डाटा तो प्राप्त होगा ही संभावित त्रुटि के बारे में भी यह आगाह करेगा। संसाधनों और एसेट को न्यूनतम लागत से अधिकतम परफार्मेस प्राप्त करने के लिए रियल टाइम एंटरप्राइज एसेट मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करेगा।

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आरआरटीएस ट्रेनों, एएफसी सिस्टम, प्लेटफार्म स्क्रीन दरवाजे, लिफ्ट, एस्केलेटर, सिग्नलिंग, दूरसंचार, इलेक्टिकल, ओएचई उपकरणों और प्रणालियों, उप-प्रणालियों के लिए आधुनिक रियल टाइम एंटरप्राइज एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (आइड्रीम) लागू करने जा रहा है। इस प्रबंधन सिस्टम के माध्यम से एनसीआरटीसी भारत में रेल परिसंपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में डिजिटल क्रांति लाने वाला है। किसी भी जोखिम या कमियों की भविष्यवाणी करने, पहचानने, उसे सुधारने या दूर करने में सक्षम होगा।

यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परेशानी मुक्त आरामदायक सफर के अनुभव को बढ़ाने में मदद करेगा। सुरक्षा मानकों में सुधार करने, आर्थिक विकास में सहयोग करने और किसी भी प्रकार के विपरीत पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी मदद करेगा। एनसीआरटीसी में आइड्रीम सिस्टम लागू करने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। आरआरटीएस में कई उप-प्रणालियां और संसाधन आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे एक सिस्टम का प्रदर्शन दूसरे सिस्टम को प्रभावित करता है। यानी एक सिस्टम में खराबी दूसरे संसाधन की क्षमता प्रभावित करेगी। ऐसे में समय पर एक सिस्टम की खराबी का पता चल जाना जरूरी हो जाता है, ताकि उसे उसी समय ठीक किया जा सके और उसे दूसरे सिस्टम में जाने से रोका जा सके।

इस सिस्टम से मिलेगा गुणवत्तायुक्त डाटा

बिलिंडग इंफार्मेशन सिस्टम (बीम), भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस), इंटरनेट आफ थिंग (आइओटी), आपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी), पर्यवेक्षक नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए), भवन प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) से डाटा प्राप्त करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इसका लाभ यह होगा कि डाटा आटोमेटिक फीड होता रहेगा। 


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