नगर निगम कार्यकारिणी के सभी छह सदस्य निर्विरोध निर्वाचित
नगर निगम कार्यकारिणी समिति के सभी छह सदस्य निíवरोध चुन लिए गए। नवनिर्वाचित सदस्य चुने गए।
जेएनएन, मेरठ। नगर निगम कार्यकारिणी समिति के सभी छह सदस्य निíवरोध चुन लिए गए। नवनिर्वाचित सदस्यों को तिलक हॉल में प्रमाण-पत्र दिया गया। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को सुबह चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। कुल नौ प्रत्याशियों ने नामांकन फार्म भरे। नामांकन वापसी के लिए निर्धारित समय दोपहर 12.30 बजे तक तीन प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिया। इससे छह पद के लिए छह ही प्रत्याशी बचे। इसके चलते मतदान नहीं हुआ।
रविवार सुबह भाजपा महानगर संगठन की ओर से चार नामों पर मुहर लगाई गई थी, जिसमें पार्षद ललित नागदेव, विपिन जिदल, सुनीता प्रजापति और संदीप रेवड़ी के नाम शामिल थे । वहीं महापौर खेमे और सर्वदलीय पार्षद संगठन की ओर से पांच नामों पर मुहर लगाई गई, जिसमें पार्षद अब्दुल गफ्फार, सितारा बेगम, प्रदीप वर्मा, रविदर कुमार और रंजन शर्मा थे। निíवरोध निर्वाचन में भाजपा की तरफ से ललित नागदेव, सुनीता प्रजापति व संदीप रेवड़ी चुने गए। वहीं महापौर व सर्वदलीय पार्षद संगठन की ओर से सितारा बेगम, रंजन शर्मा व गफ्फार खान चुने गए। भाजपा के ललित नागदेव दूसरी बार कार्यकारिणी सदस्य बने हैं। चुने हुए सदस्यों को महापौर सुनीता वर्मा, नगर आयुक्त डा. अरविद कुमार चौरसिया, अपर नगर आयुक्त व चुनाव अधिकारी श्रद्धा शांडिल्यायन, सहायक नगर आयुक्त बृजपाल सिंह ने प्रमाण-पत्र प्रदान किए।
गौरतलब है कि कार्यकारिणी में कुल 12 सदस्य होते हैं। इनमें से छह का कार्यकाल फरवरी में ही समाप्त हो गया था। चुनाव के दौरान भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। पार्टी कार्यालय पर हुआ स्वागत
भाजपा सदस्यों का मुकुंदी देवी धर्मशाला में स्वागत किया गया। भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिघल ने बधाई दी। उधर, कांग्रेस कार्यालय पर रंजन शर्मा को बधाई दी गई। कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष जाहिद अंसारी, अखिल कौशिक, योगी जाटव आदि मौजूद रहे।
यह होता है कार्यकारिणी का स्वरूप व अधिकार
नगर निगम की कार्यकारिणी में 12 सदस्य होते हैं। इन 12 सदस्यों में से ही उपाध्यक्ष चुना जाता है। इसके पदेन अध्यक्ष महापौर होते हैं। जब भी नगर निगम में कोई नीति लागू करनी होती है तब सदन में चर्चा के बाद कार्यकारिणी से स्वीकृति लेनी होती है। कार्यकारिणी की हरी झंडी मिलने के बाद फिर उसे बोर्ड बैठक में रखा जाता है। बोर्ड बैठक में भी कार्यकारिणी के सदस्य शामिल होते हैं। ऐसे चुनी जाती है कार्यकारिणी
जब नगर निगम के महापौर व पार्षद का चुनाव हो जाता है तब नई कार्यकारिणी का चुनाव होता है। उसके एक साल बाद छह सदस्यों को बाहर करने के लिए सभी 12 सदस्यों की पर्ची निकाली जाती है। उनमें से छह पर्ची उठाई जाती है। पर्ची से बाहर हुए छह सदस्यों के स्थान पर नए छह सदस्य चुने जाते हैं। इन नए चुने गए छह सदस्यों का कार्यकाल दो साल तक होता है। जब पर्ची निकाली गई थी तब उसमें सबसे ज्यादा भाजपा के तीन सदस्य बाहर हुए थे। इस बार तीन चुन लिए गए हैं, जिससे वर्तमान कार्यकारिणी में इनकी संख्या पांच हो गई है। वहीं महापौर व सर्वदलीय संगठन की ओर से कुल सात सदस्य हो गए हैं। इस तरह से कार्यकारिणी में अब भाजपा कमजोर हो गई है। क्योंकि कार्यकारिणी में जब किसी प्रस्ताव पर वोटिग की नौबत आती है तब महापौर का भी वोट लिया जाता है।