मेरठ रीजन के चार डिपो में आउटसोर्सिग कर्मचारियों के वेतन में सब गोलमाल
आउटसोर्सिग के बाद परिवहन निगम का बिल पहले जहां एक से डेढ़ लाख के बीच आ रहा था, वह अब बढ़कर दो लाख तक पहुंच गया है।
मेरठ (दीपक भारद्वाज)। परिवहन निगम में आउटसोर्सिग पर रखे गए कर्मचारियों से धोखा कर हर माह लाखों रुपये का गोलमाल किया जा रहा है। कर्मचारियों का वेतन और संख्या बढ़ाए बिना ही कंपनी को फायदा देने के लिए बिल में लाखों रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई। मेरठ रीजन के चारों डिपो में यही खेल चल रहा है, जिससे परिवहन निगम को महीने में लाखों रुपये का चूना लग रहा है। दिल्ली की आउटसोर्सिग कंपनी आरके इंटरप्राइजेज कंपनी से परिवहन निगम ने 20 दिसंबर 2017 को अनुबंध किया था। कर्मचारियों का पीएफ, ईएसआई और सैलरी स्लिप देने के लिए कहा गया था, लेकिन मार्च बीत जाने के बाद भी उनका पीएफ, ईएसआई आदि नहीं काटा गया। अब कर्मचारियों ने रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद से गुहार लगाई है। कर्मचारियों का वेतन भी तय नहीं
निगम में आउटसोर्सिग पर कार्य कर रहे कर्मचारियों का वेतन भी तय नहीं है। कर्मचारियों के मुताबिक कभी उन्हें ढाई तो कभी तीन हजार रुपये मासिक वेतन दे दिया जाता है। मेरठ रीजन के बड़ौत, मेरठ डिपो, सोहराब गेट डिपो, रीजनल वर्कशॉप को मिलाकर कुल 100 कर्मचारी हैं। दोगुना किया जा रहा भुगतान
आउटसोर्सिग के बाद परिवहन निगम का बिल पहले जहां एक से डेढ़ लाख के बीच आ रहा था, वह अब बढ़कर दो लाख तक पहुंच गया है। अधिकारियों का तर्क है कि इसमें जीएसटी लगाया गया है। एक तरफ अधिकारी जीएसटी लगाने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों को कैश में सैलरी दी जा रही है। इससे इनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है। यूनियन ने दी चेतावनी
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद और एंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। आउटसोर्सिग कर्मचारियों का उत्पीड़न बंद करना होगा। मेरठ डिपो के सर्विस मैनेजर एसएल शर्मा ने बताया कि कंपनी को नोटिस जारी कर दिया गया है। कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई नहीं दिया जा रहा है। वहीं भुगतान की बात है तो जीएसटी लगाकर किया जा रहा है। वहीं परिवहन निगम मेरठ के क्षेत्रीय प्रबंधक एसके बनर्जी ने कहा कि मेरा इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है। इसे सर्विस मैनेजर अपने स्तर से देखें। अगर कर्मचारियों के साथ ऐसा हो रहा है तो वह कंपनी के खिलाफ भी मुकदमा कर सकते हैं।