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Ajit Singh Death News: अजित सिंह की एक आवाज पर जमा हो गए थे हजारों किसान, आंदोलन को मिली थी संजीवनी

चौधरी अजित सिंह ने किसान आंदोलन को फिर से जिंदा करने के लिए भाकियू नेता राकेश टिकैत का साथ दिया था और अजित सिंह की एक आवाज पर हजारों किसान रातोरात ही गाजीपुर बार्डर पर पहुंच गए थे।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:28 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:28 AM (IST)
Ajit Singh Death News: अजित सिंह की एक आवाज पर जमा हो गए थे हजारों किसान, आंदोलन को मिली थी संजीवनी
अजित सिंह ने किसान आंदोलन को मजबूत करने की निभाई थी भूमिका।

बागपत, जेएनएन। एक समय ऐसा भी था, जब कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर चल रहा किसान आंदोलन खत्म होने के कगार पर पहुंच गया था। उस दौरान चौधरी अजित सिंह ने किसान आंदोलन को फिर से जिंदा करने के लिए भाकियू नेता राकेश टिकैत का साथ दिया था और अजित सिंह की एक आवाज पर हजारों किसान रातोरात ही गाजीपुर बार्डर पर पहुंच गए थे।  इस दौरान अजित सिंह नेे बागपत और आसपास के जिलों  का सफर किया। कानूनों के खिलाफ एकजुट होने और संघर्ष करने का आह्वान किया था।

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पूर्व विधायक डाक्टर अजय तोमर ने बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन जब टूटने के कगार पर पहुंच गया था और राकेश टिकैत की आंखों से आंसू निकल आए थे तो रात के समय अजित सिंह ने फोन पर पार्टी के पूर्व विधायक, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से कहा था कि यह किसानों का मुद्दा है और लड़ाई सरकार के साथ है इसलिए गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन को मजबूत करने का काम करें। किसान स्वयं को असहाय महसूस न करें। यह किसानों की लड़ाई है तो ऐसे में रालोद राजनीति से उठकर काम करें। उधर, उसके बाद पूर्व विधायक डाक्टर अजय तोमर, पूर्व विधायक अजय कुमार, पूर्व विधायक वीरपाल राठी, अरूण तोमर बाबी, संजीव मान, सतेंद्र प्रमुख, प्रमेंद्र तोमर, अश्वनी तोमर, रविंद्र हट्टी आदि गाजीपुर बार्डर पहुंच गए थे। पूर्व विधायक वीरपाल राठी ने बताया कि अगले दिन जयंत चौधरी भी गाजीपुर बार्डर पहुंचे थे और किसानों के मुद्दे पर आंदोलन को मजबूत करने का आह्वान किया था।

बागपत में भी आंदोलन को रालोद ने ही दी थी मजबूती

अजित सिंह के आह्वान के बाद बागपत में रालोद कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को मजबूती देने का काम किया था। सभी पूर्व विधायकों और पदाधिकारियों ने गांव-गांव पंचायत कर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन फूंका। किसानों को एकजुट करने का काम किया था। बामनौली गांव में राजा सलक्षणपाल का शहीदी दिवस मनाया गया था उसमें अजित सिंह ने भी भाग लिया था और कहा था कि किसानों के हर मुद्दे पर उनके साथ खड़े थे। उन्होंने किसानों को एकजुट होने का भी आह्वान किया था। 


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