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तीन साल में 20 पायदान नीचे आया कृषि विश्वविद्यालय

मेरठ गंगा- यमुना के बीच दोआब की उर्वर भूमि है। मेरठ की माटी को बेहद उपजाऊ है। ऐसे क्षेत्र में कृषि शिक्षा को आगे बढ़ाने वाला सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रैंकिग की दौड़ में पिछड़ रहा है। जिसका इस बार देश के कृषि विश्वविद्यालयों में 35वां स्थान है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 08:25 AM (IST)
तीन साल में 20 पायदान नीचे आया कृषि विश्वविद्यालय
तीन साल में 20 पायदान नीचे आया कृषि विश्वविद्यालय

मेरठ, जेएनएन। मेरठ गंगा- यमुना के बीच दोआब की उर्वर भूमि है। मेरठ की माटी को बेहद उपजाऊ है। ऐसे क्षेत्र में कृषि शिक्षा को आगे बढ़ाने वाला सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रैंकिग की दौड़ में पिछड़ रहा है। जिसका इस बार देश के कृषि विश्वविद्यालयों में 35वां स्थान है। पिछले तीन साल में यह रैंकिग में 20 पायदान नीचे आया है। जिससे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक गुणवत्ता और शोध के स्तर पर सवाल उठ रहा है।

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की ओर से तीन दिसंबर कृषि शिक्षा दिवस को देश के कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिग जारी की गई है। देश के 67 कृषि विश्वविद्यालयों की वर्ष 2020 की यह रैंकिग जारी हुई है। इस रैंकिग में मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय का स्थान 35 वां है। जबकि इससे पहले कृषि विवि टाप 20 में रह चुका है। आइसीएआर 2019 की रैंकिग में मेरठ कृषि विवि का स्थान 17 वां था। जबकि 2018 की रैंकिग में यह 15वें स्थान पर था। कृषि विश्वविद्यालयों में शोध की प्रक्रिया, किसानों तक कृषि वैज्ञानिकों की पहुंच सहित कृषि शिक्षा के कई मानकों के आधार पर यह रैंकिग जारी की गई है। जिसमें विश्वविद्यालय की रैंकिग नीचे गई है। गौरतलब है कि राजभवन से लेकर कृषि शिक्षा की ओर से रैंकिग सुधारने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय अपने पूर्व की स्थिति को भी कायम नहीं रख पा रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालय को अपने शोध और शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने की जरूरत है। क्योंकि बहुत से छात्र संस्थानों की रैंकिग देखकर प्रवेश लेने के विषय में सोचते हैं। प्रदेश के अन्य कृषि विवि से बेहतर

देश के कृषि विश्वविद्यालय की तुलना में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि भले पीछे है। पर प्रदेश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों में शीर्ष पर है। रैंकिग में पिछड़ने के संभावित कारण

- कृषि वैज्ञानिकों का किसानों से कम संपर्क।

- कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों का प्रसार कम।

- विवि से संबंधित कालेजों में स्टाफ की कमी।

- शोध और शैक्षणिक गुणवत्ता में और सुधार की जरूरत। प्रदेश के कृषि विवि की रैंकिग

45 - आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि अयोध्या

55- बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि बांदा

59- चंद्रशेखर आजाद कृषि व प्रौद्योगिकी विवि कानपुर

61- पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय व गो अनुसंधान संस्थान मथुरा।


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