Coronavirus: सीटी स्कैन जांच के बाद तय होगा किसे भेजना है कोविड केंद्र Meerut News
मेरठ में बढ़ते कोरोना के मामले ने फिर चिंता बढ़ा दी है। शहर के फिजिशियन एवं सांस रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड मरीजों की छाती का सीटी स्कैन कराने से संक्रमण का पता चल जाता है जिसके आधार पर अस्पताल भेजना चाहिए।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य विभाग की चुनौती बढ़ा दी है। 60 साल से ज्यादा उम्र वाले मरीजों को कोविड केंद्र भेजने पर जोर दिया जा रहा है, जिसको लेकर निजी चिकित्सकों और लोगों में असमंजस है। शहर के फिजिशियन एवं सांस रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड मरीजों की छाती का सीटी स्कैन कराने से संक्रमण का पता चल जाता है, जिसके आधार पर अस्पताल भेजना चाहिए। सीटी स्कैन बुखार आने के तीसरे दिन करा लेना चाहिए। प्रशासन को निश्शुल्क या तीन सौ रुपये में मरीजों के लिए जांच की सुविधा अनिवार्य करनी चाहिए। जल्द ही डाक्टरों की टीम सीएमओ के साथ बातचीत करेगी।
सीटी स्कैन जांच निश्शुल्क कराए प्रशासन
मेरठ में करीब आठ सौ मरीज होम आइसोलेशन में हैं, लेकिन इस दौरान कई मरीजों की मौत होने पर प्रशासन दबाव में आ गया। इसके चलते घर पर इलाज कराने की गाइडलाइन बदल दी गई। कई मरीज ऐसे भी रहे, जिनमें ज्यादा लक्षण नहीं थे, लेकिन प्रशासन ने गाइडलाइन का हवाला देते हुए उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती करा दिया। वहां कई मरीजों में सेकंडरी या हास्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन हो गया। उनकी स्थिति गंभीर हो गई।
घर पर ज्यादा आत्मविश्वास
निजी चिकित्सकों का कहना है कि अगर आक्सीजन 94 फीसद से ज्यादा है और बुखार, खांसी नहीं है तो बुजुर्ग मरीजों को भी कोविड वार्ड में भर्ती करना जरूरी नहीं है। मनोविश्लेषकों का कहना है कि घर पर मरीज ज्यादा आत्मविश्वास में रहता है, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर कार्य करती है। मरीजों के स्वजन का आरोप है कि कोविड केंद्रों में मरीजों को भर्ती कर कागजी खानापूरी हो रही है। कई बार उन्हें कोविड केंद्रों में दवाएं तक नहीं मिलतीं, जबकि मेडिकल स्टाफ के व्यवहार की शिकायतें कई बार मिल चुकी हैं।
बुखार के दूसरे दिन ही संक्रमण को पकड़ लेता है सीटी स्कैन
कोरोना वायरस का चक्र 14 दिन का है। चौथे से पांचवें दिन बाद मरीज की स्थिति बिगडऩे लगती है। सीटी स्कैन दूसरे दिन ही बीमारी को पकड़ लेता है। तीसरे दिन स्कैन कराने पर निमोनिया के स्तर का पता चल जाएगा। अगर फेफड़ों पर रुई के आकार के काले धब्बे नहीं हैं तो मरीज खतरे से बाहर है। अगर जांच नहीं हुई और संक्रमण बना रहा तो 9-10वें दिन साइटोकाइन स्टार्म बनता है, जो मौतों की बड़ी वजह रहा। इस संक्रमण को एक्स-रे आठवें दिन पकड़ पाता है। कोरोना संक्रमण लंग्स तक पहुंचने पर सांस की सूक्ष्म नलिकाओं में सूजन और फ्लूड भर जाता है। सांस फूलने से मरीज की मौत तक हो जाती है।
इनका कहना है
प्रशासन को निजी डाक्टरों के साथ मिलकर एक कोरोना टास्क फोर्स बनानी चाहिए, जो मरीज की सीटी जांच देखकर उसे कोविड केंद्र में भेजने के बारे में सटीक परामर्श देगी। 60 साल के हर मरीज को अस्पताल भेजना फायदेमंद नहीं। हल्की खांसी, बुखार रह सकता है, लेकिन आक्सीजन 95 से नीचे जाने पर सतर्क हो जाएं। अगर मरीजों को सीटी जांच रिपोर्ट के आधार पर आइसोलेशन मिले तो बेहतर होगा। शुगर, हार्ट, अस्थमा, सीओपीडी, किडनी व लिवर रोगियों को अस्पताल जरूर भेजना चाहिए।
- डा. तनुराज सिरोही, वरिष्ठ फिजिशियन
एल-3 केंद्र मेडिकल कालेज में हर मरीज की सीटी जांच कराई जा रही है। हालांकि अन्य केंद्रों पर भर्ती सभी एसिम्टोमेटिक मरीजों की सीटी जांच नहीं हो पा रही है। बुजुर्गों और कोमाॢबड मरीजों को इसलिए होम आइसोलेशन नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि उनकी तबीयत अचानक बिगड़ती है, जिसे अस्पताल में ही संभाला जा सकता है।
- डा. राजकुमार, सीएमओ