मेरठ बवाल : आशियाने की गर्म राख में हाथ तापकर काटी रात
बुधवार को मछेरान में हुई आगजनी के बाद अब वहां पर सिर्फ बर्बादी के निशां बाकी हैं। लोगों को रात के समय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 02:34 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 02:34 PM (IST)
मेरठ,[पंकज तोमर]। भूसा मंडी की वह बस्ती,जहां जर्रा-जर्रा राख हो गया है। झुग्गी-झोपड़ियों में आगजनी के बाद कहीं खंडहरनुमा दीवारें खड़ी हैं,कहीं जले हुए सामान का मलबा। सुलगती आग गुरुवार सुबह तक ठंडी पड़ चुकी थी और जगह-जगह राख के ढेर दिख रहे थे। चहल-पहल वाले इस इलाके में अब लोगों की सिसकियां सन्नाटे को चीर रहे हैं। लोगों का सिर्फ आशियाना ही नहीं,यादें और जज्बात भी जले हैं। तनावपूर्ण शांति के बीच केवल तबाही के निशां बाकी रह गए हैं।
तन पर सिर्फ कुछ कपड़े बाकी बचे
बुधवार रात आशियाने जल जाने के बाद कुछ लोग अपने रिश्तेदारों या परिचितों के यहां चले गए थे,लेकिन कुछ लोग अपने आशियानों के पास ही बैठे रहे। कुछ लोगों ने वहां आधे-अधूरे पक्के मकान भी बना रखे थे। आग में झुग्गी-झोपड़ियां तो तमाम जल चुकी थीं, परंतु पक्के मकानों की दीवारें खड़ी रह गईं। आग से लकड़ी की छत जल गई। महिला व पुरुष आंखों में आंसू लिए जले हुए सामान को बीन रहे थे। उनके बच्चे भूख से बिलख रहे थे। सिर्फ तन पर कपड़े बच पाए और बाकी सब कुछ बर्बाद हो गया। जनप्रतिनिधियों का आवागमन लगा रहा। मदद के आश्वासन दिए जाते रहे।
बच्चों को ठंड बचाने के लिए जूट के बोरे ओढ़ाए
लोगों ने अपने ही आशियाने की गर्म राख में हाथ तापकर रात बिताई। नदीम,शहजादी,रुखसाना व फातिमा ने बताया कि बच्चों को ठंड से बचाने के लिए जूटे के बोरे ओढ़ाए। खुले आसमान के नीचे ठंडी रात बिताना मुश्किल हो रहा था। उन्होंने अपनी ही जली हुई झुग्गी-झोपड़ियों की राख में हाथ तापकर रात गुजारी।
टायर,सिलेंडर और प्लास्टिक से भड़की आग
भूसा मंडी में हुआ अग्निकांड हादसा था या किसी की साजिश। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पुलिस शरारती तत्वों की करतूत बता रही है, जबकि स्थानीय लोग पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं। इस सबके बीच सभी की जुबां पर एक सवाल था कि ऐसा क्या हुआ कि आग पलभर में इतनी फैल गई कि पूरी बस्ती को अपने आगोश में ले लिया। राख देखकर पता चला कि टायर,सिलेंडर और प्लास्टिक आग के बेकाबू होने की वजह बने।
देखते ही देखते भड़की चिंरागी
बुधवार को भूसा मंडी के एक कोने से उठी चिंगारी ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया था। आग ने डेढ़ सौ से अधिक झुग्गियों को जलाकर राख कर दिया। लोग कुछ समझ पाते,तब तक चारों तरफ आग की लपटें और धुएं का गुबार था। देर रात आग ठंडी पड़ी और गुरुवार सुबह अधिकारी राख हो चुकी झुग्गियों में पहुंचे तो फटे सिलेंडरों व लोहे के बारीक तारों ने भीषण अग्निकांड की वजह सामने ला दी।
छतों पर टायर जले घरों में सिलेंडर फटे
एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि भूसा मंडी की झुग्गियों की छतें छप्पर,लकड़ी आदि की बनी हुई हैं। आंधी-तूफान में छत न उड़ जाए, इसके लिए उन्होंने छतों पर टायर रखे हुए थे। इसके अलावा घरों में छोटे सिलेंडरों पर खाना बनाया जाता था। अग्निकांड में पहले टायर ने आग पकड़ी और फिर घर में रखे सिलेंडर फटे। टायर की आग टायर के पूरी तरह खत्म होने के बाद ही बुझती है, लिहाजा आग ने भीषण रूप ले लिया।
प्लास्टिक पार्ट्स ने किया आग में घी का काम
भूसा मंडी की झुग्गियों में दोपहिया व चार पहिया वाहनों के प्लास्टिक पार्ट्स का काम जोरों पर है। लोगों ने गोदाम बनाए हुए हैं। इन प्लास्टिक पार्ट्स ने भी आग में घी का काम किया।
छतों से झांकते रहे लोग,प्रदूषण से बेहाल
आगजनी के बाद कैंट समेत आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ गया है। सामान के अलावा मवेशी भी जले हैं, जिस कारण बदबू से लोगों का बुरा हाल रहा। उन्हें देखने के लिए आसपास के मकानों पर महिला व बच्चों की भीड़ रही।
कड़ी सुरक्षा के बीच सुपुर्द-ए-खाक
मछेरान निवासी रहीस (40) लोहे के जाल बनाने का काम करता था। देर रात उसकी हार्टअटैक से मौत हो गई थी। अफवाह फैल गई कि सदमे से उसकी मौत हो गई। दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच जनाजा कब्रिस्तान ले जाया गया।
तन पर सिर्फ कुछ कपड़े बाकी बचे
बुधवार रात आशियाने जल जाने के बाद कुछ लोग अपने रिश्तेदारों या परिचितों के यहां चले गए थे,लेकिन कुछ लोग अपने आशियानों के पास ही बैठे रहे। कुछ लोगों ने वहां आधे-अधूरे पक्के मकान भी बना रखे थे। आग में झुग्गी-झोपड़ियां तो तमाम जल चुकी थीं, परंतु पक्के मकानों की दीवारें खड़ी रह गईं। आग से लकड़ी की छत जल गई। महिला व पुरुष आंखों में आंसू लिए जले हुए सामान को बीन रहे थे। उनके बच्चे भूख से बिलख रहे थे। सिर्फ तन पर कपड़े बच पाए और बाकी सब कुछ बर्बाद हो गया। जनप्रतिनिधियों का आवागमन लगा रहा। मदद के आश्वासन दिए जाते रहे।
बच्चों को ठंड बचाने के लिए जूट के बोरे ओढ़ाए
लोगों ने अपने ही आशियाने की गर्म राख में हाथ तापकर रात बिताई। नदीम,शहजादी,रुखसाना व फातिमा ने बताया कि बच्चों को ठंड से बचाने के लिए जूटे के बोरे ओढ़ाए। खुले आसमान के नीचे ठंडी रात बिताना मुश्किल हो रहा था। उन्होंने अपनी ही जली हुई झुग्गी-झोपड़ियों की राख में हाथ तापकर रात गुजारी।
टायर,सिलेंडर और प्लास्टिक से भड़की आग
भूसा मंडी में हुआ अग्निकांड हादसा था या किसी की साजिश। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पुलिस शरारती तत्वों की करतूत बता रही है, जबकि स्थानीय लोग पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं। इस सबके बीच सभी की जुबां पर एक सवाल था कि ऐसा क्या हुआ कि आग पलभर में इतनी फैल गई कि पूरी बस्ती को अपने आगोश में ले लिया। राख देखकर पता चला कि टायर,सिलेंडर और प्लास्टिक आग के बेकाबू होने की वजह बने।
देखते ही देखते भड़की चिंरागी
बुधवार को भूसा मंडी के एक कोने से उठी चिंगारी ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया था। आग ने डेढ़ सौ से अधिक झुग्गियों को जलाकर राख कर दिया। लोग कुछ समझ पाते,तब तक चारों तरफ आग की लपटें और धुएं का गुबार था। देर रात आग ठंडी पड़ी और गुरुवार सुबह अधिकारी राख हो चुकी झुग्गियों में पहुंचे तो फटे सिलेंडरों व लोहे के बारीक तारों ने भीषण अग्निकांड की वजह सामने ला दी।
छतों पर टायर जले घरों में सिलेंडर फटे
एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि भूसा मंडी की झुग्गियों की छतें छप्पर,लकड़ी आदि की बनी हुई हैं। आंधी-तूफान में छत न उड़ जाए, इसके लिए उन्होंने छतों पर टायर रखे हुए थे। इसके अलावा घरों में छोटे सिलेंडरों पर खाना बनाया जाता था। अग्निकांड में पहले टायर ने आग पकड़ी और फिर घर में रखे सिलेंडर फटे। टायर की आग टायर के पूरी तरह खत्म होने के बाद ही बुझती है, लिहाजा आग ने भीषण रूप ले लिया।
प्लास्टिक पार्ट्स ने किया आग में घी का काम
भूसा मंडी की झुग्गियों में दोपहिया व चार पहिया वाहनों के प्लास्टिक पार्ट्स का काम जोरों पर है। लोगों ने गोदाम बनाए हुए हैं। इन प्लास्टिक पार्ट्स ने भी आग में घी का काम किया।
छतों से झांकते रहे लोग,प्रदूषण से बेहाल
आगजनी के बाद कैंट समेत आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ गया है। सामान के अलावा मवेशी भी जले हैं, जिस कारण बदबू से लोगों का बुरा हाल रहा। उन्हें देखने के लिए आसपास के मकानों पर महिला व बच्चों की भीड़ रही।
कड़ी सुरक्षा के बीच सुपुर्द-ए-खाक
मछेरान निवासी रहीस (40) लोहे के जाल बनाने का काम करता था। देर रात उसकी हार्टअटैक से मौत हो गई थी। अफवाह फैल गई कि सदमे से उसकी मौत हो गई। दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच जनाजा कब्रिस्तान ले जाया गया।
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