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सिद्धार्थ शुक्ला की मौत के बाद फिटनेस के तरीकों पर उठे सवाल, ज्यादा मेहनत करने से हार्ट अटैक का भी खतरा

टीवी कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत के बाद फिटनेस के तरीकों पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिम में जरूरत से ज्यादा मेहनत करने वालों पर भी हार्ट अटैक का खतरा है। ज्यादा वजन उठाने पर दिल की नसों में क्रैक आ सकता है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 09:26 AM (IST)
सिद्धार्थ शुक्ला की मौत के बाद फिटनेस के तरीकों पर उठे सवाल, ज्यादा मेहनत करने से हार्ट अटैक का भी खतरा
ज्‍यादा वजन उठाने से हार्ड अटैक का खतरा हो सकता है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। टीवी कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत के बाद फिटनेस के तरीकों पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिम में जरूरत से ज्यादा मेहनत करने वालों पर भी हार्ट अटैक का खतरा है। ज्यादा वजन उठाने पर दिल की नसों में क्रैक आ सकता है। हाई स्टेरायड व रसायनयुक्त पाउडरों के सेवन से खून में गाढ़ापन बढ़ रहा है।

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हृदय रोग विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान जीवनशैली में 20-40 साल के बीच हार्ट अटैक एवं हार्ट फेल्योर के केस बढ़े हैं। फिटनेस के प्रति नई पीढ़ी का झुकाव है, लेकिन किसी कोच की निगरानी जरूरी है। जिमखानों में युवाओं ने अनियंत्रित मात्र में एनाबोलिक स्टेरायड और मांसपेशियों को फुलाने के लिए प्रोटीन लिया। हार्ट की मोटाई-कार्डियोमायोपैथी मिली। दिल फैलने का भी खतरा ज्यादा है।

20-40 साल उम्र के दिल के नए मरीज मिल रहे हैं। इसमें जिम जाने वाले भी हैं, जिनके दिल की मोटाई बढ़ी मिली। ओवरवेट उठाने की वजह से दिल की नस में क्रैक आने से रक्त का थक्का बना, और अटैक पड़ गया। एनाबोलिक स्टेरायड व खराब प्रोटीन पाउडर से दूर रहें। घबराहट व सांस फूलने पर ईको कराएं।

डा. संजीव सक्सेना, हृदय रोग विशेषज्ञ

नई पीढ़ी एल्कोहल, स्टेरायड, धूमपान, फास्ट फूड और वायु प्रदूषण की गिरफ्त में है, जो हार्ट अटैक की बड़ी वजह है। बीपी व कोलेस्ट्रोल भी अनियंत्रित हो रहा है। कोरोना ठीक होने पर भी कई युवाओं में खून का गाढ़ापन अटैक का कारण बना। तनाव से ऐसे हार्मोन्स बनते हैं, जो हार्ट के लिए घातक हैं।

डा. विनीत बंसल, हृदय रोग विशेषज्ञ

पोस्ट कोविड मरीजों में ज्यादा रिस्क

कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वालों में कई मरीजों के खून में गाढ़ापन मिला। रक्त में थक्का बनने से भी कई युवाओं की जान चली गई। बीमारी ठीक होने के बाद भी कई मरीजों में डी-डाइमर एवं सी-आरपी का स्तर बढ़ा मिल रहा, जो दिल के लिए खतरनाक है।

ये लक्षण उभरें तो सावधान

घुटन, छाती में दर्द, कसावट, पसीना आना, सीढ़ी चढ़ने या शारीरिक गतिविधि के बाद सांस फूलना। 


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