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बस्ती के बच्चों को पढ़ाने की चुनौती की स्वीकार

स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के लिए खाने-पीने और अन्य सामग्री वितरण का कार्य तो शहर के कई सामाजिक संस्थाए कर रही हैं। लेकिन शिक्षित कर इन बच्चों के भविष्य को एक दिशा देना किसी यज्ञ से कम नहीं है। मेरठ

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 04:00 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:21 AM (IST)
बस्ती के बच्चों को पढ़ाने की चुनौती की स्वीकार
बस्ती के बच्चों को पढ़ाने की चुनौती की स्वीकार

मेरठ, जेएनएन। स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के लिए खाने-पीने और अन्य सामग्री वितरण का कार्य तो शहर के कई सामाजिक संस्थाए कर रही हैं। लेकिन शिक्षित कर इन बच्चों के भविष्य को एक दिशा देना किसी यज्ञ से कम नहीं है। जिसे रोहिणी भाटिया ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है, और वह पिछले चार साल से इन बच्चों को पढ़ाने का कार्य रही हैं।

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कंकरखेड़ा निवासी 26 वर्षीया रोहिणी भाटिया एमए और बीएड करने के बाद देवलोक स्थित हर्षित पब्लिक स्कूल में पढ़ाती हैं। स्कूल में पढ़ाने के बाद वह मुकुट महल के समीप स्थित झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के पढ़ाती है। साथ ही उनकी जरूरत का सामान भी उन्हें मुहैया करवाती हैं। पिछले चार में रोहिणी इन झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनका कई स्कूलों में एडमिशन भी करवा चुकी हैं। शुरूआत में इन बच्चों को पढ़ाने में काफी परेशानी होती थी, क्योंकि इनके माता-पिता इन्हें अपनी कमाई का जरिया मानते हैं। वह नहीं चाहते कि इन बच्चों का समय पढ़ाई में खराब हो। इसलिए इन बच्चों के लिए इवनिंग क्लास की शुरूआत की। जिससे इनके माता-पिता कम से कम इन्हें स्कूल आने की इजाजत दे दें।

संवार रही हैं गरीब बच्चों का भविष्य

रोहिणी पिछले चार से इन बच्चों को पढ़ा रही हैं, वह स्लम एरिया के बच्चों को दो घटे पढ़ाती है। उन्हें प्राथमिक शिक्षा देने के बाद उनका एडमिशन स्कूल में करवाती हैं। वह अभी तक ऐसे 40 बच्चों को शिक्षित कर उनका स्कूल में प्रवेश करवा चुकी हैं।

पढ़ाई के साथ स्वच्छता अभियान भी

रोहिणी प्रत्येक रविवार को इन बच्चों के साथ मिलकर किसी एक क्षेत्र का चयन कर उनकी साफ-सफाई का कार्य करती हैं। साथ ही इन बच्चों और इनके परिवार के सदस्यों को सफाई के बारे में जानकारी देती हैं, जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकें। रोहिणी का कहना है कि समाज ने इन लोगों को खुद से अलग कर रखा हैं, लेकिन यह भी इसी समाज का हिस्सा है। जिसे शिक्षित करने का दायित्व भी हमारा हैं।


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