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एक सैनिक कभी नहीं मरता

1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद मेजर रणवीर सिंह को यह शहर कभी नहीं भूलेगा। उनका बलिदान आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देता रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 06:58 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 06:58 AM (IST)
एक सैनिक कभी नहीं मरता
एक सैनिक कभी नहीं मरता

मेरठ, जेएनएन। 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद मेजर रणवीर सिंह को यह शहर कभी नहीं भूलेगा। उनका बलिदान आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देता रहेगा। 21 सितंबर 1965 में लड़ते-लड़ते शहीद हुए मेजर रणवीर सिंह अमर हैं। उनकी अमर कहानी यह बताती है कि एक सैनिक कभी नहीं मरता है। शनिवार को शहीद मेजर रणवीर सिंह की कहानी व्हीलर क्लब में दिखाई गई। जिसे देखकर लोगों ने जाबांज अफसर के बलिदान को नमन किया।

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कारगिल दिवस की पूर्व संध्या के मौके पर व्हीलर क्लब में कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए कार्यक्रम हुआ। शहीद मेजर रणवीर सिंह के पुत्र डा. राजीव सिंह की ओर से यह कार्यक्रम किया गया। जिसमें शहीद मेजर रणवीर सिंह पर तैयार की गई एक सैनिक कभी नहीं मरता दिखाई गई। इस फिल्म को उनके बेटे डा. राजीव सिंह वर्ष 2015 में तैयार कराई थी। जिसका स्क्रिप्ट डा. अमित पाठक ने लिखी है। फिल्म में भारत की आजादी से लेकर 1948 की लड़ाई, 1962, 1965 की लड़ाई को दिखाते हुए शहीद मेजर रणवीर सिंह के बचपन को भी दर्शाया गया है। उनके फौज में अफसर बनने, 19 पंजाब बटालियन की स्थापना के बाद उनके कुशल नेत़त्व को दिखाया गया। शहीद मेजर रणवीर सिंह के साथ रहने वाले सैन्य अफसर, उनके परिवार के लोगों ने अपने शब्दों में उनके अदम्य साहस और पराक्रम को बताया है। शहीद मेजर रणवीर सिंह की पत्नी सुरेंद्र कुमारी की जुबानी भी कई संस्मरण फिल्म में दिखाए गए। फिल्म देखने के बाद सभी की आंखें भी नम हुईं और रोंगटे भी खड़े हुए। कार्यक्रम में शहीद मेजर रणवीर सिंह की पत्नी सुरेंद्र कुमारी, डा. राजीव सिंह, डा. अमित पाठक सहित सैन्य अफसर, अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। पाक में घुस गए थे मेजर रणवीर सिंह

मेरठ के शेर मेजर रणवीर सिंह ने 1965 की लड़ाई में हाजी पीर को भारत के कब्जे में दे दिया था। दुश्मनों के कई पोस्ट को उन्होंने अपने कब्जे में लिया था। लड़ाई के मैदान में पाकिस्तानियों को पीछे खदेड़ते हुए उन्होंने अपने प्राण को न्यौछावर कर दिया था।


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