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मानवता शर्मसार : मुजफ्फरनगर में इमरजेंसी के सामने व्‍यक्ति ने तड़प-तड़पकर तोड़ दिया दम, न अस्‍पताल और न ही लोगों ने ली सुध

बृहस्पतिवार सुबह के समय से एक व्यक्ति जिला अस्पताल में इमरजेंसी के सामने बेसुध पड़ा था। वह घंटों इमरजेंसी के सामने पड़ा रहा लेकिन उसकी सुध किसी ने भी नहीं लिया।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 06:00 AM (IST)
मानवता शर्मसार : मुजफ्फरनगर में इमरजेंसी के सामने व्‍यक्ति ने तड़प-तड़पकर तोड़ दिया दम, न अस्‍पताल और न ही लोगों ने ली सुध
मानवता शर्मसार : मुजफ्फरनगर में इमरजेंसी के सामने व्‍यक्ति ने तड़प-तड़पकर तोड़ दिया दम, न अस्‍पताल और न ही लोगों ने ली सुध

मनीष शर्मा, मुजफ्फरनगर। मंत्री या फिर किसी अफसर का दौरा हो तो सीएमएस से लेकर वार्ड ब्वाय तक वर्दीधारी सफेदपोश हो जाते हैं, लेकिन इसके पहले और बाद में लापरवाही व धींगामुश्ती की जो स्याही समूचे अस्पताल पर बिखर जाती है उसकी बानगी बृहस्पतिवार को इंसानियत का चोले पर बदनुमा दाग लगाती रही। इमरजेंसी के सामने तड़प-तड़पकर एक इंसान लाश में तब्दील हो जाता है। उसकी सांस थमने से पहले किसी की नजर उस पर नहीं पड़ती। दिल धड़कने तक वह सबकी नजर में पागल था। मान भी लिया, कि वह पागल था, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बाकी सब तो होशियार थे, ...फिर वह बिना इलाज के क्यों मरा?

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कोरोना के खिलाफ जंग की धुरी स्वास्थ्य सेवाओं पर सूबाई सरकार खासी तवज्जो दे रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा इंसानी जान बचाई जा सके। जिला अस्पताल में चिकित्सकों को इससे कोई सरोकार नहीं है। बृहस्पतिवार सुबह के समय से एक व्यक्ति जिला अस्पताल में इमरजेंसी के सामने बेसुध पड़ा था। वह घंटों इमरजेंसी के सामने पड़ा रहा, लेकिन उसकी सुध न तो वहां से गुजरने वालों ने ली और न ही चिकित्सकों ने। नतीजतन, दो-तीन घंटे बाद उक्त व्यक्ति ने वहीं पड़े-पड़े दम तोड़ दिया। बस उसकी सांस उन दो उलट-बासियों में उलझी रही, जब तक वह यम के रथ पर सवार नहीं हुआ। वहां पहुंचे मीडियाकर्मियों के कैमरों के फ्लैश चमके तो चिकित्सकों ने उसकी सुध ली। आनन-फानन में स्ट्रेचर लाया गया। चिकित्सकों ने उसकी जांच की, लेकिन तब तक वह व्यक्ति दुनिया को अलविदा कह चुका था। इसके बाद चिकित्सकों ने उसके शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। काफी प्रयास के बाद भी मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी। बहरहाल, लोग यही कहते सुने गए कि बेचारे की बस इतनी लिखी थी, लेकिन यह बेचारगी उस अद्र्धविक्षिप्त की नहीं, सिस्टम की ज्यादा नजर आई। बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल में इमरजेंसी के ठीक सामने जो हुआ उससे सिस्टम की तो पोल खुली ही है साथ ही मानवता भी शर्मसार हो गई।

इनका कहना है...

मृतक दिमागी रूप से अस्वस्थ था। वह जिला अस्पताल में भर्ती था, लेकिन खुद उठकर वार्ड से चला गया था। शव मोर्चरी में रखवा दिया गया। -डा. पंकज अग्रवाल सीएमएस  


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