मेरठ में ब्लैक फंगस के कहर के बीच मिला येलो फंगस का एक मरीज, डाक्टरों में हलचल
मेरठ में ब्लैक फंगस के कहर के बीच येलों फंगस का भी एक मामला सामने आया है। अभी तक ब्लैक फंगस में शहर में 130 के आसपास के मरीज मिल चुके हैं। मुजफ्फरनगर से आए मरीज की नाक में दर्द आंख व चेहरे में सूजन थी।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ में ब्लैक फंगस के कहर के बीच येलों फंगस का भी एक मामला सामने आया है। अभी तक ब्लैक फंगस में शहर में 180 मरीज मिल चुके हैं। इसी बीच में शुक्रवार को मेडिकल कालेज में चार दिनों से भर्ती एक मरीज की जांच करते ही डाक्टर चौंक पड़े। उसके सैंपल में पीले रंग का डिस्चार्ज मिलने से चिकित्सकों में हलचल मच गई। विभागाध्यक्ष डा. वीपी सिंह ने पीला फंगस की आशंका जताते हुए सैंपल जांच के लिए माइक्रोबायोलोजी लैब भेज दिया है। ऐसा फंगस अब तक नहीं देखा गया। लैब सात दिन में जांच रिपोर्ट देगा। इससे पहले गाजियाबाद के एक ईएनटी सर्जन ने गत दिनों येलो फंगस का एक केस देखा था।
ईएनटी के प्रोफेसर डा. वीपी सिंह ने बताया कि मुजफ्फरनगर से आए मरीज की नाक में दर्द, आंख व चेहरे में सूजन थी। जांच में पता चला कि यह फंगस अलग है। माइक्रोस्कोप से इसे स्क्रीन पर लेकर देखा गया तो पीला रंग देखकर डाक्टर हैरान रह गए। डाक्टरों ने तत्काल प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह को सूचित किया, साथ ही शासन को भी औपचारिक जानकारी दे दी गई है। बताया जाता है कि येलो फंगस अन्य फंगस से ज्यादा खतरनाक है।
ब्लैक फंगस से एक मरीज की मौत, संख्या 180 पहुंची
मेडिकल कालेज में शुक्रवार को कोरोना से कुल तीन मौतें हुईं, जिसमें एक मरीज फंगस से भी ग्रसित था। आठ मरीज आइसीयू में रखे गए हैं, जिनके दिमाग तक फंगस पहुंचने से चिकित्सा प्रशासन परेशान है। वहीं, शासन ने एंफोटेरिसिन-बी का सौ वायल इंजेक्शन आवंटित किया। मेरठ मेडिकल कालेज को 70 वायल मिले हैं। प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि सात नए मरीज भर्ती किए गए हैं। कुल मरीजों की संख्या 68 हो चुकी है। 44 कोविड पाजिटिव और 24 निगेटिव हैं। दस मरीजों को आइसीयू में रखा गया है। बताया कि पहली बार पूरी तरह ब्लैक फंगस का मरीज मिला है। आमतौर पर इसके मरीजों में नाक व मुंह से भूरा डिस्चार्ज निकलता है।